सदन के पहले दिन सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शपथ लेना शुरू किया। इसी दौरान जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सांसद के रूप में शपथ लेने के लिए उठे, तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडी’ के सदस्यों ने नीट परीक्षा को लेकर मजाक उड़ाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी।
18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरू हुआ। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कैबिनेट मंत्रियों के बाद राज्य मंत्रियों ने सदन की सदस्यता की शपथ ली। हालांकि, संसद में उस समय अचानक से हंगामा मच गया, जब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सदन की शपथ लेने के लिए उठे। विपक्षी नेताओं ने इस दौरान जोरदार नारेबाजी की और नीट परीक्षा में धांधली का मुद्दा उठाया। हंगामे के कारण सदन में कुछ देर के लिए अव्यवस्था फैल गई, जिससे शपथ ग्रहण की प्रक्रिया बाधित हुई।
नीट-नीट के नारे लगे
सदन के पहले दिन सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शपथ लेना शुरू किया। इसी दौरान जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सांसद के रूप में शपथ लेने के लिए उठे, तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडी’ के सदस्यों ने नीट परीक्षा को लेकर मजाक बनाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। शिक्षा मंत्री जब शपथ लेने के लिए मंच पर पहुंचे, तो संसद में ‘नीट-नीट’ के नारे गूंजने लगे। इसके बावजूद, धर्मेंद्र प्रधान ने अपना भाषण पूरा किया और विधिवत शपथ ग्रहण की। इस घटना से सदन में थोड़ी देर के लिए हलचल मच गई, लेकिन शपथ ग्रहण की प्रक्रिया फिर से सुचारू रूप से जारी रही।
केंद्र पर हमला बोला
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में बढ़ी हुई मार्किंग और पेपर लीक के आरोपों को लेकर देशभर में आक्रोश फैल गया है। इसी संदर्भ में विपक्षी नेताओं ने लोकसभा में शिक्षा मंत्री के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर नीट-यूजी 2024 परीक्षा में हुई अनियमितताओं को लेकर तीखा हमला बोला और छात्रों से वादा किया कि उनकी पार्टी संसद में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएगी।
बताते चलें कि लोकसभा का पहला सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है, क्योंकि विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर भाजपा नीत एनडीए सरकार को घेरने की तैयारी में है। इनमें विशेष रूप से अध्यक्ष के चुनाव, नीट-यूजी और यूजीसी-नेट में पेपर लीक के आरोप शामिल हैं। विपक्ष का मानना है कि इन मुद्दों पर सरकार को कठघरे में खड़ा करना जरूरी है, ताकि छात्रों के हितों की रक्षा की जा सके और परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बनी रहे।
आपातकाल की घोषणा किए बिना इसी तरह का कर रहे काम
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए सवाल किया कि आपातकाल के मुद्दे को उठाकर वह कब तक शासन करने की योजना बना रही है। खरगे लोकसभा के 18वें सत्र की शुरुआत से पहले मीडियाकर्मियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया टिप्पणियों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री इसे 100 बार दोहरा सकते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि आपातकाल की घोषणा किए बिना ही सरकार उसी ढंग से कार्य कर रही है।”
खरगे ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पुरानी बातों को उखाड़कर, आपातकाल का भय दिखाकर वर्तमान के महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। जब देश में बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याएं जैसे गंभीर मुद्दे हैं, तो ऐसे में पुरानी घटनाओं का सहारा लेकर कब तक शासन किया जा सकता है? सरकार को इन मुद्दों का समाधान करना चाहिए और लोकतांत्रिक ढंग से काम करना चाहिए, न कि डर और भय के माहौल में शासन करना चाहिए।”
रस्सी जल गई, बल नहीं गया
इसके अलावा, सोशल मीडिया मंच एक्स पर भी खरगे ने मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने रूढ़िवादी शब्द आज जरूरत से ज्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया। देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे।”
खरगे ने आगे कहा, “नीट और अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाने की अपेक्षा थी, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार की धांधली और भ्रष्टाचार के बारे में कोई जिम्मेदारी नहीं ली। हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना पर भी मोदी जी मौन साधे रहे। मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर मोदी जी न तो वहां गए और न ही उन्होंने आज के अपने भाषण में ताज़ा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है।”
खरगे ने यह भी कहा, “प्रधानमंत्री को देश के युवाओं, किसानों और मजदूरों की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। सरकार को अपनी विफलताओं को स्वीकार करके उनकी समाधान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। सिर्फ पुराने मुद्दों को उठाकर और भाषणबाजी से देश का भला नहीं हो सकता। देश को आज सही नेतृत्व और संवेदनशील सरकार की जरूरत है, जो जनता की वास्तविक समस्याओं का समाधान कर सके।”
इन मुद्दों पर क्यों हैं चुप?
खरगे ने आगे कहा, “असम और पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महंगाई हो, रुपया का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक मार्केट घोटाला हो, या फिर अगली जनगणना का लंबित रहना हो; मोदी सरकार ने इन सभी मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है। जातिगत जनगणना पर भी मोदी जी ने कोई बात नहीं की। आप 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिला रहे हैं, लेकिन पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए, जिसका जनता ने अंत कर दिया।”
उन्होंने कहा, “लोगों ने मोदी जी के खिलाफ जनमत दिया है। इसके बावजूद अगर वे प्रधानमंत्री बने हुए हैं, तो उन्हें काम करना चाहिए। जनता को नारे नहीं, बल्कि वास्तविक समाधान चाहिए। विपक्ष और इंडिया जनबंधन संसद में बहस चाहता है। हम जनता की आवाज सदन, सड़क और हर मंच पर उठाते रहेंगे। हम संविधान की रक्षा करेंगे। लोकतंत्र ज़िंदाबाद!”