UP: अखिलेश की रणनीति का प्रतिसाद देते हुए, भाजपा ने भी पीडीए कार्ड खेला; दो पिछड़े, एक दलित और एक अगड़े को मंत्री बनाया।

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भाजपा ने भी पीडीए कार्ड खेला

भाजपा: योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है, अब कैबिनेट में 56 मंत्री हैं। इसमें 22 कैबिनेट, 14 स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री और 20 राज्य मंत्री शामिल हैं। अभी भी कैबिनेट में चार की जगह शेष है।

योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार के माध्यम से समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड के जवाब में अपना पिछड़ा, दलित और अगड़ा (पीडीए) कार्ड चला लिया है।

पार्टी ने न केवल चुनाव से पहले सहयोगी दलों को संतुष्ट करने के लिए मंत्री पद का तोहफा दिया है, बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की है। सपा ने बीते कई महीनों से पीडीए को चुनावी नारा बना रखा है।

सपा वास्तव में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। भाजपा ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते समय अति पिछड़ा जाति के ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाया है। दलित वर्ग से अनिल कुमार और अगड़े वर्ग से ब्राह्मण समाज से सुनील शर्मा को मंत्री बनाया गया है।

जानकारों के अनुसार, 2019 और 2022 में सुभासपा से अलग होने से भाजपा को पूर्वांचल में नुकसान हुआ था। सुभासपा के साथ शामिल होने से लोकसभा चुनाव 2024 और उसके बाद 2027 तक राजभर वोट बैंक को बढ़ावा मिलेगा। सरकार में पश्चिमी यूपी से ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व अब पूरा हो गया है।

भाजपा ने रालोद को लोकसभा और दो विधान परिषद सीटों की एक साझेदारी दी है। रालोद ने जाट समाज को एक लोकसभा और एक विधान परिषद सीट, और गुर्जर समाज को एक लोकसभा सीट पर मौका दिया है।

जानकारों के अनुसार, भाजपा ने इस संयुक्त गठबंधन के माध्यम से पश्चिमी यूपी में जाट और गुर्जर वोटबैंक को प्राप्त किया है, साथ ही मंत्रिमंडल में रालोद से दलित समाज को एक मौका देकर जाटव वोटबैंक को भी स्थापित करने का प्रयास किया गया है।

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भाजपा ने भी पीडीए कार्ड खेला: यह है लम्बे इंतज़ार का कारण

राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि भाजपा ने चुनाव के पास आने तक मंत्रिमंडल का विस्तार टाला, जिसे वे तय रणनीति के तहत किया। सुभासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर को लंबा इंतजार कराकर एक स्पष्ट संदेश दिया गया कि सियासत में मर्यादा की सीमा का पालन करना चाहिए, भले ही आरोप-प्रत्यारोप हो। अगर राजभर को पहले मंत्री बना दिया जाता, तो उनकी लोकसभा चुनाव में उम्मीदें बढ़ती। अब उन्हें मंत्री बनाने से एक सीट पर संतुष्टि प्राप्त करना आसान होगा। दारा सिंह को भी लंबा इंतजार कराकर पार्टी छोड़ने से पहले चुनाव से पहले उन्हें गलती का एहसास दिलाया गया। चुनाव के नजदीक आते ही नोनिया चौहान को मतों को साधने के लिए मंत्री पद दिया गया।

भाजपा ने भी पीडीए कार्ड खेला: वर्तमान में मंत्रिमंडल में अब भी चार पद खाली हैं

4 नए मंत्रियों के शामिल होने के बावजूद, योगी मंत्रिमंडल में अब भी 4 पद खाली रहेंगे। विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या का 15 फीसदी मंत्रियों के रूप में उपयोग किया जा सकता है। प्रदेश में विधानसभा के 403 सीटें हैं, जिसका मतलब है कि 60 मंत्रियों को नियुक्त किया जा सकता है। योगी सरकार 2.0 के शपथ ग्रहण के समय, 25 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, और ब्रजेश पाठक समेत 53 मंत्रियों ने शपथ ली थी।

जुलाई 2022 में योगी सरकार के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय योगी सरकार में 52 मंत्री थे। चार नए मंत्री शामिल होने के बाद मंत्रिमंडल में 56 सदस्य हो गए हैं। वर्तमान में मंत्रिमंडल में अभी भी चार पद खाली हैं।

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