पंजाब में गर्मी का कहर जारी है। मौसम विभाग ने आगामी चार दिनों के लिए राज्य के 10 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। इसके चलते अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, बठिंडा, बरनाला और मानसा में भीषण गर्म हवाएं चलने की संभावना है। इस स्थिति को देखते हुए लोगों को अनावश्यक बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने भी अत्यधिक गर्मी के चलते संभावित हीटस्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए सतर्कता बरतने की अपील की है। ग्रामीण इलाकों में भी किसानों और श्रमिकों को विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है।
प्रचंड गर्मी से देश के अधिकांश हिस्सों में राहत मिलती नहीं दिख रही है। दिन हो या रात, गर्मी ने लोगों को बेहाल कर रखा है। पंजाब में सबसे अधिक गर्मी बठिंडा में महसूस की गई, जहां अधिकतम तापमान 44.8 डिग्री दर्ज किया गया। यह तापमान सामान्य से 2.6 डिग्री अधिक है।
वहीं, जलालाबाद में भीषण गर्मी के कारण एक युवक की गश खाकर गिरने से दुखद मौत हो गई। मृतक की पहचान पवन कुमार के रूप में हुई है। चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी की वजह से हीट स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे ऐसे हादसे होते हैं। जानकारों का मानना है कि शनिवार से शुरू हो रहे नौतपा के कारण तापमान में और वृद्धि हो सकती है, जिससे गर्मी का प्रकोप और भी बढ़ सकता है। इस बढ़ती गर्मी के चलते लोग और अधिक सावधानी बरतें, विशेषकर दोपहर के समय घर से बाहर निकलने से बचें। पर्याप्त पानी पिएं और शरीर को ठंडा रखने के उपाय करें। मौसम विभाग ने भी आने वाले दिनों में अत्यधिक गर्मी के लिए चेतावनी जारी की है, जिससे लोगों को सतर्क रहना जरूरी है।
पंजाब में न्यूनतम तापमान अभी भी सामान्य से 5.9 डिग्री अधिक है। लुधियाना का न्यूनतम तापमान 30.3 डिग्री दर्ज किया गया है। प्रदेश के अन्य शहरों की बात करें तो अमृतसर में अधिकतम तापमान 42.4 डिग्री, लुधियाना में 41.6 डिग्री, पटियाला में 41.6 डिग्री, पठानकोट में 41.5 डिग्री और फरीदकोट में 42.5 डिग्री दर्ज किया गया है।
गर्मी की इस लहर के चलते लोग बेहद परेशान हैं और बिजली की मांग में भी इजाफा देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ सकता है, जिससे गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा। लोग घरों में रहकर और पर्याप्त पानी पीकर खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं।
आखिर क्या होता है नौतपा?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 25 मई से सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा, जिसके साथ ही नौतपा की शुरुआत होगी। इस अवधि में तापमान में तेज वृद्धि होती है। नौतपा के दौरान अगर बारिश न हो, तो इसे अच्छे मानसून के शुभ संकेत माना जाता है। वहीं, अगर नौतपा के दौरान बारिश आ जाए, तो इसे नौतपा का खंडित होना माना जाता है और यह मानसून के लिए अशुभ संकेत माना जाता है।
इस दौरान लोगों को अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है और उन्हें खुद को धूप से बचाने के लिए विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। नौतपा की यह अवधि अत्यधिक गर्म हवाओं और उच्च तापमान के लिए जानी जाती है। इसके प्रभाव से खेतों में फसलों पर भी असर पड़ता है, जिससे किसान भी चिंतित रहते हैं। यदि नौतपा के दौरान मौसम शुष्क रहता है, तो यह संकेत देता है कि आने वाला मानसून समय पर और प्रचुर मात्रा में बारिश लेकर आएगा। इसीलिए, ज्योतिष और कृषि के जानकार इस समय का विशेष ध्यान रखते हैं और इसके आधार पर आगे की तैयारी करते हैं।
डॉ. चंद्रमोहन के अनुसार, नौतपा के भौगोलिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर नजर डालें तो इस दौरान पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी कम हो जाती है, जिससे सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। इस कारण इस अवधि में तापमान और सूर्य की तपिश सबसे अधिक होती है। अत्यधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने लगता है। यह निम्न दबाव का क्षेत्र समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है, जिससे ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती हैं। समुद्र को उच्च दबाव वाला क्षेत्र माना जाता है, इसलिए हवाओं के इस रुख से अच्छी बारिश का अनुमान लगाया जाता है।