एएसजी एसवी राजू ने बताया कि उन्हें अदालत में अपने पक्ष की दलील देने के लिए बहुत कम समय मिला था। उन्होंने कहा कि समय इतना कम था कि उन्हें लिखित अर्जी तक पेश करने का मौका नहीं मिला।
दिल्ली आबकारी नीति के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग केस में, दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर रोक लगा दी है। पहले रात राउज एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को एक लाख के निजी मुचलके और कुछ शर्तों के साथ बेल दे दी थी। प्रवर्तन निदेशालय ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। ईडी के वकील ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के सेक्शन 45 का उल्लेख करते हुए यह कहा कि यह सेक्शन पब्लिक प्रोसेक्यूटर को जमानत पर रोक लगाने का अधिकार देता है, लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट ने इसका मौका नहीं दिया गया।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बताया कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के सेक्शन 45 के तहत, पब्लिक प्रोसेक्यूटर को जमानत पर रोक लगाने का अधिकार होता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। पब्लिक प्रोसेक्यूटर की अर्जी खारिज कर दी गई है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के उस आग्रह को खारिज कर दिया था, जिसमें 48 घंटे तक जमानत पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
एसवी राजू ने कहा, ‘मैं जमानत पर रोक लगाने का अनुरोध करता हूं। कल रात जमानत का आदेश दिया गया था, लेकिन कोर्ट की वेबसाइट पर अभी तक इसे अपलोड नहीं किया गया है। हमें जमानत पर स्टे के लिए आग्रह करने का भी मौका नहीं दिया गया। अरविंद केजरीवाल के वकील की तरफ से बहस भी पूरी नहीं की गई और मुझे आधे घंटे के अंदर जल्दी-जल्दी दलील देने का निर्देश दिया गया। मेरे पास इतना कम समय था कि लिखित अर्जी भी नहीं दे सका। यह स्थिति अस्वीकार्य है।’
किन शर्तों के साथ अरविंद केजरीवाल को मिली थी जमानत?
अरविंद केजरीवाल के वकील ऋषिकेश कुमार ने बताया कि उन्हें एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिली है। उन्होंने बताया, ‘राउज एवेन्यू कोर्ट ने रात के आठ बजे जमानत का आदेश जारी किया गया है। शुक्रवार की सुबह तक जमानत की कार्रवाई पूरी हो जाएगी और दोपहर के बाद अरविंद केजरीवाल जेल से रिहा होंगे। इस घटना को देश और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है।’
कोर्ट ने जमानत के साथ इस शर्त को भी लगाया है कि अरविंद केजरीवाल जांच में किसी भी तरह की बाधा नहीं डालेंगे और न ही गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि वे जांच में सहायता करेंगे और जब भी आवश्यकता हो, वे कोर्ट में पेशी करेंगे।