इस उम्र में भी धोनी का यह अंदाज़ फैनस को कर रहा है दीवाना, चंद सेकंड के रिएक्शन ने किया प्रभावित

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इस उम्र में भी धोनी का यह अंदाज़

महेंद्र सिंह धोनी अब चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान नहीं हैं, लेकिन टीम उनके नेतृत्व में ही अच्छी तरह से खेल रही है।

उनके बुद्धिमान फैसलों के बावजूद, गुजरात टाइटन्स ने आईपीएल मुकाबले में जीत हासिल कर ली।

चेन्नई ने 20 ओवरों में 206 रन बनाए, जवाब में गुजरात टाइटन्स ने 8 विकेट पर 143 रन तक पहुंचे।

जब गुजरात टाइटन्स ने मुंबई इंडियंस को अपने घर में हराया, तो लगा कि हार्दिक पंड्या के जाने से टीम पर कोई असर नहीं पड़ा है। लेकिन 63 रनों की हार ने उन्हें पराजित कर दिया।

धोनी

धोनी की फुर्ती अभी भी है बरकरार

एमएस धोनी जिस तेजी से विकेटकीपिंग करते हैं, उससे वह 42 साल की उम्र में भी लोगों को चौंका देते हैं।

डेरिल मिचेल की चौथे स्टंप पर फेंकी गई गेंद को विजय शंकर का विकेट के पीछे निकले कैच को धोनी ने अपने दाएं 2.27 मीटर की डाइव लगाकर पकड़ा, उसकी जितनी भी तारीफ़ की जाए, कम है।

ख़ास बात यह है कि इस कैच को पकड़ने के लिए धोनी के पास कुछ सेकंड का ही प्रतिक्रिया समय था। यही नहीं, धोनी ने इस कैच को दोनों हाथों से पकड़ा।

कई बार इस तरह के कैच विकेटकीपर एक हाथ से पकड़ते तो दिख जाते हैं, पर धोनी का दम तभी आता है जब वह इसे दोनों हाथों से पकड़ते हैं। धोनी की यह क्षमता ही उन्हें महान बनाती है।

इस पर सिद्धू की टिप्पणी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “कौन कहता है कि धोनी 42 है, वह तो 22 का लगता है।”

अंबाती रायडू ने इस सीज़न में धोनी की उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन की सराहना की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका घुटना इस बार पूरी तरह से ठीक है। वह मानसिक रूप से पहले से ही मजबूत हैं।

धोनी को कई बार गेंदबाजी में बदलाव की सलाह दी गई है। उन्होंने शुरुआत में ही कप्तान ऋतुराज को एक फील्डर को स्क्वेयर लेग पर लगाने की सलाह दी थी, और अगली गेंद ही वहां पहुंच गई।

धोनी जैसी दीवानगी किसी की नहीं

महेंद्र सिंह धोनी कम ही खेलने उतरते हैं पर उनका बल्लेबाज़ी के लिए पैड पहनकर तैयार हो जाना ही चेपक पर दर्शकों को उत्तेजित कर देता है।

आमतौर पर बल्लेबाज़ के छक्का लगाने पर सबसे ज़्यादा शोर मचता है। पर धोनी का चेहरा सामने आने पर उससे भी ज़्यादा शोर मचता है।

अंबाती रायडू पिछले सीज़न तक सीएसके के लिए खेलते रहे हैं। उन्होंने कहा कि धोनी की ऐसी दीवानगी है कि कई बार उन्हें खेलता देखने के लिए सीएसके प्रशंसक विकेट पर मौजूद बल्लेबाज़ के आउट होने की कामना करने लगते हैं।

आमतौर पर रविंद्र जडेजा ही उनसे पहले आते हैं पर उन्हें भी इस स्थिति का सामना करना पड़ता रहा है।

धोनी बड़े शॉट्स खेलने के लिए मशहूर हैं, साथ ही वह सुपरस्टार बनाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने शिवम दुबे का कायाकल्प किया ही है और वह सीएसके की पारी के हीरो रहे।

उन्होंने 23 गेंदों में 221.73 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाज़ी करके 51 रन बनाए। इसमें उन्होंने दो चौके और पांच छक्के लगाए। हरभजन सिंह कहते हैं कि शिवम दुबे में युवराज सिंह की तरह ही जगह पर खड़े रहकर छक्का लगाने की क्षमता है।

सीएसके ने प्रारंभ से ही दबाव बनाया

चेन्नई ने गुजरात टाइटंस को पारी जमाने का मौक़ा ही नहीं दिया। दीपक चाहर और डेरिल मिचेल ने शुरुआती तीन झटके लगाकर मैच का रुख़ काफ़ी हद तक तय कर दिया था।

गुजरात के पहले तीन विकेट 55 रन पर निकल जाने के बाद डेविड मिलर और सुदर्शन की साझेदारी पर बहुत कुछ निर्भर था।

यह जोड़ी जब 41 रन जोड़कर टीम को मज़बूत बनाने जा रही थी। लेकिन तब ही अजिंक्य रहाणे ने डेविड मिलर का आगे डाइव लगाकर बेहतरीन कैच पकड़कर गुजरात को ऐसा तगड़ा झटका दे दिया, जिससे उभरना आसान नहीं था।

इस कैच पर सुनील गावस्कर ने कहा कि ‘यह कैच रिज़र्व बैंक में डिपॉज़िट जैसा था। रहाणे को मैंने स्लिप में तमाम अच्छे कैच पकड़ते देखा है.’

इम्पैक्ट प्लेयर साई सुदर्शन ने इम्पैक्ट नहीं डाला

साई सुदर्शन को आईपीएल के पिछले सीज़न के फाइनल में 96 रनों की पारी खेलने के लिए याद किया जाता है।

वे अपनी टीम को चैंपियन नहीं बना पाए थे, लेकिन उनकी 8 चौकों और 6 छक्कों वाली पारी ने क्रिकेट प्रेमियों को मोह लिया था। लेकिन आज जब वे इम्पैक्ट खिलाड़ी के रूप में उतरे, तो प्रभाव छोड़ने में असफल रहे।

सीएसके की कड़ी गेंदबाज़ी के सामने वे खुलकर खेल नहीं सके। रन गति में पिछड़ने के कारण उनके ऊपर लगातार दबाव बढ़ता गया। जब उन्हें इस दबाव से बाहर निकलने का प्रयास किया, तो उन्हें कैच हो गए। वे सिर्फ 31 गेंदों में 37 रन बना सके, जिसमें 3 चौके शामिल थे।

मोहम्मद शमी की कमी खली

पिछले सीज़न तक गुजरात टाइटंस के हमले की जान पावरप्ले में बल्लेबाज़ों की लगाम कसने की थी।

लेकिन शमी के इस सीज़न में अनुपस्थित रहने से अज़मातुल्ला उमरजई को आज़माया गया। उनके पहले ओवर में ऋतुराज गायकवाड़ का साई किशोर ने स्लिप में कैच छोड़ दिया होता, तो गेंदबाज़ों को दबदबा बनाया जा सकता था। लेकिन इसके बाद रचिन की ठुकाई ने पावरप्ले में गेंदबाज़ी को कमज़ोर बना दिया।

पेस गेंदबाज़ों को शुरूआत से ही स्विंग नहीं मिलने के कारण उनकी ठुकाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें ख़राब फील्डिंग की भी योगदान रहा। कई बार फील्डर गेंद तक पहुंच जाने पर भी गेंद उससे टकराकर सीमा रेखा को पार कर गई|

 

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