ईवीएम और वीवीपैट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या बदला और क्या नहीं, जानें

0
0

सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है जो ईवीएम और वीवीपैट के 100 फ़ीसद मिलान की मांग कर रही थीं।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दिपांकर दत्ता की बेंच ने कहा, “हमने याचिकाओं को सुना है। इन याचिकाओं में पेपर बैलेट सिस्टम पर लौटने, वीवीपैट मशीन से निकलने वाली पर्चियों की पुष्टि और इलैक्ट्रॉनिक गिनती के अलावा वीवीपैट से निकली पर्चियों की 100 फ़ीसदी गिनती करवाए जाने की मांग की गई थी।”

“हमने मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं और रिकॉर्ड पर मौजूद डेटा को ध्यान में रखते हुए इन सभी को ख़ारिज कर दिया है।” हालांकि इस फ़ैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कई विशेष बदलाव करने के निर्देश दिए हैं।

चुनाव आयोग के परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो उसके लिए फ़ैसले से मतदान आयोजित करने के तरीके में बहुत कुछ नहीं बदला है, हालांकि कोर्ट ने आयोग से कहा है कि चुनाव के बाद की प्रक्रिया में वो कुछ नई प्रक्रियाएं अपनाए, जो मतदाताओं को विशेष रूप से सुरक्षित और विश्वसनीय बनाए रखें।

पहला निर्देश यह है कि सिंबल के लोड होने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) को सील किया जाए। दूसरा निर्देश है कि चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद, एसएलयू को कम से कम 45 दिनों तक सीलबंद किया जाए।

एसएलयू को पहले कंप्यूटर से जोड़कर इस पर चुनाव चिह्न लोड किए जाते हैं। इसके बाद वीवीपैट स्लिप पर पार्टी का चुनाव चिह्न और उम्मीदवार का नाम छापने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इन एसएलयू को खोला जाएगा और उसी तरह की जांच की जाएगी, जैसे कि ईवीएम की होती है।

चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि हर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में वीवीपैट पर चुनाव चिह्न लोड करने के लिए एक से दो एसएलयू का इस्तेमाल होता है। चुनाव संपन्न होने के बाद अब इन्हें इस्तेमाल के बाद 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाएगा, चाहे इसके संबंध में किसी भी शिकायत की जाए।

कोर्ट की सलाह और क्या नहीं बदला?

इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने सलाह दी है कि चुनाव आयोग को इस सुझाव की ‘जांच’ करने का अधिकार है कि वीवीपैट से निकलने वाली पर्चियों की गिनती में इंसानों की बजाय मशीन का उपयोग किया जाए। इसके लिए, हर पर्ची पर एक बारकोड बनाया जाएगा जिससे इसकी गिनती आसानी से की जा सके।

कोर्ट ने इसे एक तकनीकी पहलू माना है जिसकी मूल्यांकन की ज़रूरत है, इसलिए हम इस पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से परहेज कर रहे हैं। मतदाताओं की दृष्टि से, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उनके लिए कोई बदलाव नहीं आया है। जैसे कि ईवीएम के माध्यम से अब तक मतदान होता था, वैसे ही आगे भी होगा, जिसमें 100 फ़ीसदी मशीनें वीवीपैट से जुड़ी होंगी।

इसके अतिरिक्त, मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, ईवीएम से होने वाली गिनती के वेरिफ़िकेशन के लिए पांच विधानसभा क्षेत्रों के वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाएगी। इस पांच चुनाव क्षेत्रों का चुनाव रैंडम तरीके से किया जाएगा। इस मामले में, याचिकाकर्ता एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स ने वीवीपैट पर्चियों की 100 फ़ीसदी गिनती की मांग की थी।

कोर्ट ने और क्या कहा

उसके अतिरिक्त, कोर्ट ने भी यह बताया कि उम्मीदवारों के पास ईवीएम की सत्यापन की मांग करने का अधिकार है। चुनाव में दूसरे या तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों की शिकायत पर चुनाव आयोग ईवीएम निर्माता को ईवीएम के माइक्रोचिप की सत्यापन के लिए आदेश दे सकता है। उम्मीदवार किसी संसदीय या विधानसभा चुनाव क्षेत्र में 5 फ़ीसदी ईवीएम के मेमोरी सेमीकंडक्टर की जांच की मांग कर सकता है। उम्मीदवार की लिखित गुज़ारिश पर सत्यापन किया जाएगा, जिसे ईवीएम निर्माता के इंजीनियरों की एक टीम अंजाम देगी।

फ़ैसले के अनुसार, उम्मीदवार या प्रतिनिधि पोलिंग स्टेशन के नंबरों या सीरियल नंबरों के हिसाब से ईवीएम की पहचान कर सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि वेरिफ़िकेशन के लिए गुज़ारिश चुनाव के समापन के 7 दिनों के भीतर की जानी चाहिए और इसके लिए खर्च उम्मीदवार को ही उठाना होगा। अगर वेरिफिकेशन के दौरान यह पाया गया कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई है, तो चुनाव आयोग को उम्मीदवारों के पैसे वापस करने की जिम्मेदारी होगी।

दूसरे चरण में कितने फीसदी हुआ मतदान?

अंग्रेज़ी में छपने वाले द हिंदू अख़बार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान में क़रीब 61 फ़ीसदी वोटिंग हुई. दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ. चुनाव आयोग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक़, सबसे अधिक वोटिंग पूर्वोत्तर के राज्यों त्रिपुरा और मणिपुर में हुई जबकि सबसे कम उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में हुई.

शुक्रवार शाम सात बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, त्रिपुरा 78.53 प्रतिशत, मणिपुर 77.18 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 71.84 प्रतिशत वोटिंग हुई. वहीं उत्तर प्रदेश में 53.71 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 53.84 प्रतिशत, बिहार में 54.91 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में करीब 55.77 प्रतिशत वोटिंग हुई. वहीं छत्तीसगढ़ में 72.61 प्रतिशत और असम में 70.68 प्रतिशत वोटिंग हुई.

नोटा पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने ईवीएम में दिए जाने वाले नोटा (नन ऑफ़ द अबव यानी किसी को भी नहीं) को लेकर चुनाव आयोग से सवाल किया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मतदाताओं को नोटा ऑप्शन देने के क़रीब 11 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आयोग से जवाब तलब किया है. बेंच में चीफ़ जस्टिस के अलावा जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल थे.

कोर्ट शिव खेड़ा की दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें ये मांग की गई थी कि जिन चुनाव क्षेत्रों में नोटा ऑप्शन को सबसे अधिक वोट मिलें, उन सीटों पर दोबारा चुनाव करवाए जाएं. मौजूदा व्यवस्था में इस तरह के मामलों में नोटा के बाद जो उम्मीदवार दूसरे नंबर पर होता है, उन्हें ही विजेता घोषित कर दिया जाता है. याचिका में कहा गया था कि नोटा को सबसे अधिक वोट देकर जिन उम्मीदवारों को जनता ने खारिज कर दिया उन्हें फिर से उम्मीदवार न बनाया जाए| कोर्ट ने कहा कि वो इस बात से सहमत हैं कि मतदाताओं की जागरूकता के लिए चुनाव आयोग को एक “काल्पनिक उम्मीदवार” के रूप में नोटा के बारे में जानकारी देने को लेकर जांच करनी चाहिए.

राहुल गांधी क्या अमेठी लौटने की तैयारी में हैं?

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में जिन अहम सीटों पर मतदान संपन्न हुआ उनमें से एक केरल की वायनाड सीट है जहां उम्मीदवारों की सियासी किस्मत अब ईवीएम में बंद हो चुकी है. द टेलीग्राफ़ में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने जाने-अनजाने ऐसा फ़ैसला ले लिया है जो राहुल गांधी के पक्ष में जा रहा है. वायनाड से चुनाव लड़ने वाले राहुल गांधी दूसरे चरण के मतदान के ख़त्म होने के बाद अब उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट पर अपना ध्यान लगा सकते हैं. अमेठी में मतदान 20 मई को है. राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या नहीं? इसे लेकर मीडिया के कई हलकों में कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन हो सकता है कि वो अमेठी से बतौर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरें.

अख़बार लिखता है कि अमेठी में कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के आवास और आस-पास के बगीचे की साफ सफाई करते देखे गए हैं. इसके अलावा उनके आवास के पास बगीचे में टेंट का सामान भी पड़ा है. अख़बार ये भी लिखता है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ये नहीं बताया कि राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे या नहीं. हालांकि ये ज़रूर कहा कि अमेठी से चुनाव लड़ें या न लड़ें, राहुल गांधी यहां चुनावी रैली ज़रूर करेंगे. इसके साथ ही अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि गांधी परिवार के गढ़ रहे रायबरेली से प्रियंका गांधी बतौर उम्मीदवार अपना पहला चुनाव लड़ सकती हैं. इससे पहले प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा ने कहा था कि यहां के वोटर “गांधी परिवार से किसी को” यहां देखना चाहते हैं. हालांकि ये भी चर्चा है कि वो खुद चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं. अमेठी में 2014 में राहुल गांधी ने 1.07 लाख वोटों से बीजेपी नेता स्मृति ईरानी को मात दी थी, लेकिन 2019 में खेल पलटा और स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,120 वोटों से शिकस्त दी. लेकिन इस बीच इस तरह की ख़बरें हैं कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में वो अधिक लोकप्रिय नहीं हैं.

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!