कांग्रेस ने स्पीकर बिरला के खिलाफ प्रतियोगी दिया, आखिर क्यों नहीं की वोटिंग की मांग

0
0
कांग्रेस

18वीं लोकसभा में स्पीकर के चुनाव के लिए विपक्ष ने एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला के खिलाफ अपना उम्मीदवार तो उतारा, लेकिन मत विभाजन की मांग नहीं की।

बुधवार सुबह ओम बिरला को ध्वनिमत से स्पीकर चुना गया, यानी बिना वोटिंग के चुनाव संपन्न हुआ। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि विपक्ष को मत विभाजन की मांग नहीं करनी थी, तो फिर उन्होंने उम्मीदवार क्यों खड़ा किया?

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा केवल तीन बार हुआ है जब स्पीकर पद के लिए मतदान हुए हैं। आमतौर पर, इस पद के लिए हमेशा पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति बन जाती थी। अतीत में 1952, 1967 और 1976 में स्पीकर पद के लिए मतदान हुए थे। इसके अलावा, स्पीकर का चुनाव आमतौर पर ध्वनिमत के जरिए ही संपन्न होता रहा है।

कांग्रेस

यह भी देखा गया है कि स्पीकर के चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार खड़ा करने का उद्देश्य प्रतीकात्मक होता है, जिससे वे अपनी असहमति और विचारधारा को स्पष्ट कर सकें। इस बार भी, विपक्ष ने अपने उम्मीदवार को खड़ा करके यह संदेश देने की कोशिश की कि वे सत्ता पक्ष के किसी भी निर्णय को बिना सवाल किए स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन अंत में, मत विभाजन की मांग न करके उन्होंने अपनी राजनीतिक रणनीति को अलग तरीके से प्रस्तुत किया।

ऐसे मामलों में, विपक्ष का उम्मीदवार खड़ा करना एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिससे वे अपनी उपस्थिति और भूमिका को मजबूती से प्रस्तुत कर सकें, भले ही अंतिम परिणाम ध्वनिमत के माध्यम से तय हो।

क्या स्पीकर के चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करना विपक्ष की रणनीति का हिस्सा था? ऐसा कर विपक्ष ने सरकार को क्या संदेश देने की कोशिश की?

कांग्रेस

स्पीकर के चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करना विपक्ष की रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। ऐसा करके विपक्ष ने सरकार को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे सत्ता पक्ष के हर निर्णय को चुनौती देने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए तैयार हैं।

इस कदम से विपक्ष ने यह भी दिखाया है कि वे सत्ता पक्ष के किसी भी निर्णय को बिना सवाल किए स्वीकार नहीं करेंगे और अपनी असहमति और विचारधारा को मजबूती से प्रस्तुत करेंगे। इससे यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का सम्मान करते हुए, अपनी भूमिका को निभाने के लिए तत्पर है।

इसके अलावा, उम्मीदवार खड़ा करने का उद्देश्य यह भी हो सकता है कि विपक्ष जनता और अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहता है कि वे हमेशा उनके हितों के लिए संघर्षरत हैं। विपक्ष द्वारा इस कदम के माध्यम से सत्ता पक्ष को यह संकेत भी दिया गया है कि वे किसी भी तरह के मनमाने फैसलों को चुनौती देने के लिए तैयार हैं, और इस प्रकार वे लोकतंत्र की मजबूती और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अंततः, इस रणनीति के माध्यम से विपक्ष ने अपनी उपस्थिति और भूमिका को प्रखर तरीके से प्रस्तुत किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे किसी भी मुद्दे पर बिना अपनी आवाज उठाए नहीं बैठेंगे, चाहे वह स्पीकर का चुनाव ही क्यों न हो|

इस चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने कांग्रेस से अपने अनुभवी सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया था।

जब एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू के नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने स्पीकर के चुनाव में वोटिंग की स्थिति पूछी, तो संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि विपक्ष ने इसे मांगने की कोशिश नहीं की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!