पंजाब में 4915 कांस्टेबल पदों की भर्ती के दौरान एक महत्वपूर्ण विवाद उत्पन्न हुआ था। इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान, कई स्पेशल पुलिस अधिकारियों ने पंजाब आर्म्ड फोर्स के स्थान पर जिला पुलिस कैडर की मांग की थी। उनकी याचिका के परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने 195 पदों की रिक्ति का आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद, भर्ती प्रक्रिया में अब मेरिट के आधार पर नियुक्ति होगी। यह निर्णय न केवल विवाद को समाप्त करता है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया को भी पारदर्शी और निष्पक्ष बनाता है। अब योग्य और पात्र उम्मीदवारों को समान अवसर प्राप्त होगा और समाज की विभिन्न वर्गों को न्याय का आश्वासन मिलेगा। इस निर्णय से पंजाब के युवाओं को नौकरी की आस मिलेगी और सरकारी संस्थानों को योग्य और विशेषज्ञ श्रमिकों का चयन करने का अवसर मिलेगा।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें वह आठ साल पुरानी भर्ती में रिक्त रह गए 195 पदों को भरने के आदेश दिए हैं। इस निर्णय के अनुसार, भर्ती में नियुक्ति केवल मेरिट के आधार पर की जाएगी। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को 6 माह के अंदर इन पदों को भरने के आदेश दिए हैं, लेकिन चयनित उम्मीदवारों को पिछले वेतन या किसी अन्य सेवा लाभ के हकदार नहीं माना जाएगा। यह निर्णय न केवल विवाद को समाप्त करता है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया को भी पारदर्शी और निष्पक्ष बनाता है। अब योग्य और पात्र उम्मीदवारों को समान अवसर प्राप्त होगा और समाज की विभिन्न वर्गों को न्याय का आश्वासन मिलेगा। इस निर्णय से पंजाब के युवाओं को नौकरी की आस मिलेगी और सरकारी संस्थानों को योग्य और विशेषज्ञ श्रमिकों का चयन करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, यह निर्णय सरकारी भर्ती प्रक्रिया को संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ संचालित करने का संकेत देता है। यह भारतीय न्यायपालिका की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो समाज के हित में न्याय को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहती है।
बलविंदर सिंह और अन्यों ने याचिका दाखिल करते समय हाईकोर्ट को बताया था कि पंजाब में 4915 कांस्टेबल पदों की भर्ती की गई थी। इस भर्ती के दौरान स्पेशल पुलिस अफसरों के संबंध में विवाद था, जिन्होंने पंजाब आर्म्ड फोर्स के स्थान पर जिला पुलिस कैडर की मांग की थी। उनकी याचिका लंबित रहते हाईकोर्ट ने 195 पदों को रिक्त रखने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद, भर्ती प्रक्रिया में अब मेरिट के आधार पर नियुक्ति होगी। यह निर्णय न केवल विवाद को समाप्त करता है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया को भी पारदर्शी और निष्पक्ष बनाता है। अब योग्य और पात्र उम्मीदवारों को समान अवसर प्राप्त होगा और समाज की विभिन्न वर्गों को न्याय का आश्वासन मिलेगा। इस निर्णय से पंजाब के युवाओं को नौकरी की आस मिलेगी और सरकारी संस्थानों को योग्य और विशेषज्ञ श्रमिकों का चयन करने का अवसर मिलेगा।
इसके बाद, 2019 में हाईकोर्ट ने याचिका को संबंधित मामले में संपन्न किया, लेकिन उस समय इन पदों के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया था। इसके परिणामस्वरूप, यह पद खाली रह गए। इन पदों पर वेटिंग सूची में शामिल आवेदकों ने अपनी अनुपस्थिति की याचिका दी थी, लेकिन 31 मई, 2023 को सरकार ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसी आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। यह एक प्रक्रियात्मक मामला बन गया जिसमें सरकार की निर्णयों के खिलाफ याचिका दर्ज की गई। इसके बावजूद, निर्णय का विरोध करने वाले आवेदकों को संबंधित पदों पर नियुक्ति प्राप्त करने का अधिकार मिला। इस निर्णय से सामाजिक न्याय और प्रशासनिक प्रक्रिया को सुनिश्चित करने का संकेत मिलता है। यह हमें सिद्ध करता है कि कानूनी प्रक्रिया में सामान्य नागरिकों को भरोसा है और न्याय संवाद में भाग लेने का अधिकार है। इससे लोगों को न्याय का विश्वास मिलता है और समाज में विश्वास की प्रक्रिया में उत्साह उत्पन्न होता है|