शुक्रवार को पुणे की एक स्थानीय अदालत ने पोर्श मामले में शामिल नाबालिग के पिता और दादा को उनके चालक के अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि जांच के दौरान आरोपियों की हिरासत आवश्यक है ताकि मामले की सच्चाई सामने आ सके। पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी ने चालक को जबरन बंधक बनाकर धमकाया और मारपीट की, जिससे पीड़ित मानसिक और शारीरिक रूप से काफी आहत हुआ है।
अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे इस मामले की गहनता से जांच करें और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं। पुलिस के अनुसार, नाबालिग द्वारा चलाए गए पोर्श कार से एक दुर्घटना होने के बाद यह घटना सामने आई, जिसमें चालक को दोषी ठहराते हुए उसे बंधक बनाया गया था। अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, इसलिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजना उचित है। इस घटना ने पुणे में काफी चर्चा बटोरी है और लोगों में गुस्सा और असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है। स्थानीय समुदाय ने इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग की है ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
शुक्रवार को पुणे की एक स्थानीय अदालत ने पोर्श मामले में शामिल नाबालिग के पिता और दादा को उनके चालक के अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। अदालत ने पाया कि आरोपी चालक को जबरन बंधक बनाकर उसे धमकाने और मारपीट करने में लिप्त थे।
यह घटना उस समय की है जब नाबालिग द्वारा चलाए जा रहे पोर्श कार से एक दुर्घटना हुई थी, जिसके बाद पिता और दादा ने चालक को दोषी ठहराया और उसे बंधक बना लिया। पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि पीड़ित चालक ने आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न शामिल हैं।
अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि जांच के दौरान आरोपियों की हिरासत आवश्यक है ताकि सच्चाई सामने आ सके और पीड़ित को न्याय मिल सके। यह मामला पुणे में चर्चा का विषय बन गया है और इससे लोगों में काफी रोष और असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई है।
स्थानीय समुदाय ने न्याय की मांग की है और उम्मीद जताई है कि पुलिस और न्यायपालिका इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच करेंगे ताकि दोषियों को कड़ी सजा दी जा सके। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे सभी साक्ष्यों की गहनता से जांच करें और सुनिश्चित करें कि पीड़ित को पूर्ण न्याय मिले।
19 मई को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में एक लग्जरी कार ने एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी, जिससे दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के समय कार चालक किशोर पोर्श में था।
कार चालक, रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल का बेटा है। आरोप है कि विशाल अग्रवाल और उनके पिता ने अपने ड्राइवर को धमकाया कि वह दुर्घटना की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले। उन्होंने न सिर्फ ड्राइवर को धमकाया बल्कि उसका अपहरण भी कर लिया और अवैध रूप से अपने घर में बंधक बना कर रखा। ड्राइवर की पत्नी ने वडगांव शेरी इलाके में स्थित आरोपी के बंगले के सर्वेंट क्वार्टर से उसे मुक्त कराया।
इस घटना के बाद विशाल अग्रवाल और उनके पिता को पुलिस रिमांड में भेजा गया था। पुलिस रिमांड की समाप्ति पर, दोनों को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) एए पांडे की अदालत में पेश किया गया।
अभियोजन पक्ष ने अदालत में पुलिस रिमांड बढ़ाने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि मामले की जांच अभी भी जारी है और अब तक “अपराध में इस्तेमाल किए गए फोन और कार की बरामदगी” हो चुकी है। उन्होंने आरोपियों को और समय तक हिरासत में रखने की मांग की, यह कहते हुए कि दोनों आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकील ने पुलिस हिरासत बढ़ाने की मांग का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष को जांच के लिए पहले ही पर्याप्त समय मिल चुका है और कार, फोन और सीसीटीवी फुटेज पहले ही बरामद किए जा चुके हैं। इसलिए, पुलिस हिरासत की आगे आवश्यकता नहीं है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायाधीश ने पिता-पुत्र की जोड़ी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वहीं किशोर को 5 जून तक निगरानी गृह में रखा गया है।
मामले में एक नया मोड़ तब आया जब पुलिस ने खुलासा किया कि ससून जनरल अस्पताल में नाबालिग कार चालक के रक्त के नमूनों की अदला-बदली की गई थी। यह अदला-बदली इसलिए की गई ताकि यह साबित किया जा सके कि दुर्घटना के समय वह नशे में नहीं था।
पुलिस ने ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के तत्कालीन प्रमुख डॉ. अजय टावरे, चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हलनोर और कर्मचारी अतुल घाटकांबले को नाबालिग के रक्त के नमूनों में हेराफेरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस खुलासे ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है और न्याय की मांग को तेज कर दिया है।
इस मामले ने पुणे के निवासियों के बीच काफी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है। स्थानीय समुदाय ने निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग की है ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।