नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो गया है। विपक्ष ने इसे शुरू से ही विरोध किया है। ममता बनर्जी ने विशेष रूप से इस पर चर्चा की है। विपक्ष का CAA के खिलाफ विरोध इसलिए है क्योंकि इसमें मुस्लिम शरणार्थियों के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। भाजपा का उद्देश्य यही है। CAA की प्रमुख उपलब्धि भाजपा के लिए है। विपक्ष मुस्लिम वोटों के प्रति बड़ी हैचिके में है।
हाइलाइट्स
- राम मंदिर और CAA बीजेपी के हैं मास्टर स्ट्रोक
- विपक्ष जितना विरोध करेगा, भाजपा को ही फायदा
- बड़ी दुविधा है नीतीश कुमार के सामने, क्या करेंगे ?
- ममता, केजरीवाल, अखिलेश और ओवैसी हैं गुस्से में
पटना: पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का महासमारोह की तरह आयोजित समारोह। अब नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act), जो लोगों की जुबान पर CAA के नाम से चढ़ा हुआ है। इसे लागू करने की अधिसूचना भी केंद्र सरकार ने सोमवार को जारी कर दी। तत्काल प्रभाव से यह लागू भी हो गया है। भाजपा ने विपक्ष पर ये दो ब्रह्मास्त्र उतारे हैं। CAA में प्रावधान है कि दूसरे देशों से शरणार्थी बन कर 2014 तक आए सिख, इसाई, पारसी, जैन समेत छह अल्पसंख्यक समुदायों को भारत सरकार नागरिकता देगी। मुसलमान शरणार्थियों के लिए यह छूट नहीं होगी। यानी वे भारत के नागरिक नहीं बन पाएंगे। प्रत्यक्ष तौर पर इसमें किसी राष्ट्र भक्त को कोई बुराई या खराबी नजर नहीं आनी चाहिए। पर, विपक्ष विरोध में बलबला रहा है।
विपक्ष की विरोध भाजपा के लिए एक अवसर है
विपक्षी दलों का CAA के खिलाफ विरोध आज क्यों? क्या इसमें मुस्लिमों के पक्षपात का एक रूप नहीं है? ऐसा लगता है कि विपक्ष की मुस्लिम-प्रियता की पोल खुल रही है! विपक्षी नेताओं का सवाल है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वाले मुस्लिम या रोहिंग्या को भारत में क्यों बसाया जा रहा है? ये सवाल सभी उन लोगों के मन में है, जो विपक्ष के संगठन विचारधारा से जुड़े नहीं हैं। भाजपा क्यों इस अवसर को गंवाएगी जो जनता को समझाने का हो सकता है? वह उसे चुनावी लाभ और नरेंद्र मोदी के लिए विश्वास बनाए रखना चाहेगी।
विवेचन करें, राजनीतिक परिदृश्य कैसा हो सकता है
सोचिए, अब देश का राजनीतिक माहौल कैसा होगा! क्या नरेंद्र मोदी का 400 पार का सपना पूरा होगा, या फिर भाजपा का विपक्षी दलों द्वारा हराओ का मंसूबा सफल होगा। इसे रणनीति कहते हैं। भाजपा की ताकत भी यही है। जब तक दूसरी पार्टियां प्रदेश तक पहुंचती हैं, तब तक भाजपा बूथ तक संगठन खड़ा कर चुकी होती है। वह दल जो चुनावी मौसम में सक्रिय होते हों, जिनमें एकता की कल्पना टेढ़ी खीर लगती हो, वे 365 दिन चुनावी मोड में काम करने वाली भाजपा को आसानी से उखाड़ फेंक पाएंगे?
विपक्ष के सामने कुआं है, तो पीछे खाई है
हाँ, यह काम कोई कर सकता है तो वह है जनता यानी वोटर। वोटर और कुछ भले जानें, पर वे किस मजहब से आते हैं, इतना तो उन्हें जरूर पता रहता है। CAA का विरोध करने से विपक्ष पीछे हटा तो अब तक के उसके किए-कराए पर पानी फिर जाएगा। यानी सीएए के मुखर विरोधी मुसलमान उससे बिदक-छिटक जाएंगे। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के लिए पीछे हटना तो उनके सियासी पराभव की बुनियाद बन जाएगा। CAA का समर्थन कर भी अब विपक्ष को कुछ हासिल होने वाला नहीं। भाजपा अब चैन की नींद सो भी जाए तो CAA के सहारे उसकी कामयाबी पर संदेह की गुंजाइश नहीं बचती। भगदड़ से पहले से ही भौंचक हुए विपक्षी दलों के सामने अब इधर कुआं है, तो उधर खाई है।
अरविंद केजरीवाल ने भी भड़ास निकाली
दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP नेता अरविंद केजरीवाल को भी CAA से गहन चिंता हुई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर एक लंबा पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है- “दस साल देश पर शासन करने के बाद इस असमय में मोदी सरकार CAA लाई है। जबकि गरीब और मध्यम वर्ग महंगाई से लड़ रहा है और बेरोजगार युवा रोज़गार के लिए तरस रहा है, तब ये लोग CAA को लेकर सामने आए हैं। वे कह रहे हैं कि तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। यानी ये लोग पड़ोसी देशों के लोगों को भारत में लाने की कोशिश कर रहे हैं। क्यों?”
अपना वोट बैंक बढ़ाने के फेर में है भाजपा
अरविंद केजरीवाल भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं। उन्होंने कहा है कि ‘अपना वोट बैंक बनाने के लिए। जब हमारे युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, तो पड़ोसी देशों से आए लोगों को कौन रोज़गार प्रदान करेगा? उनके लिए घर कौन बनाएगा? क्या बीजेपी उनको रोजगार प्रदान करेगी? क्या बीजेपी उनके लिए घर बनाएगी? पिछले दस सालों में 11 लाख से अधिक व्यापारी और उद्योगपति इनकी नीतियों और अत्याचारों से तंग आकर देश छोड़कर चले गए हैं। उन्हें वापिस लाने की बजाय ये पड़ोसी देश के गरीबों को भारत में बसाने का प्रयास कर रहे हैं। क्यों? सिर्फ अपना वोट बैंक बनाने के लिए? पूरा देश CAA का विरोध करता है। पहले हमारे बच्चों को नौकरी दो, पहले हमारे लोगों को घर दो। फिर दूसरे देशों के लोगों को हमारे देश में लाने। पूरी दुनिया में हर देश दूसरे देशों के गरीबों को अपने देश में आने से रोकता है, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों के रोजगार कम होते हैं। बीजेपी शायद दुनिया की अकेली पार्टी है, जो पड़ोसी देशों के गरीबों को अपना वोट बैंक बनाने के लिए इस गंदी राजनीति कर रही है। ये देश के खिलाफ है। खासकर असम और पूरे उत्तर पूर्वी भारत के लोग इसका सख्त विरोध करते हैं, जो बांग्लादेश से होने वाले आप्रवासन के शिकार हैं और जिनकी भाषा और संस्कृति आज खतरे में हैं। बीजेपी ने असम और पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों को धोखा दिया है।’
नीतीश के सामने तो ‘धर्मसंकट’
भाजपा के अनुमानित नीतीश कुमार 80 प्रतिशत हिंदू आबादी का अब इन विपक्षी दलों के प्रति रुख क्या होगा, इस पर अब अनुमान लगाया जा सकता है। नीतीश कुमार, जो कि एनडीए का हिस्सा हैं, सीएए और एनआरसी के खिलाफ बोलते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि बिहार में सीएए को हम लागू नहीं होने देंगे और इस मुद्दे पर देश भर में बहस होनी चाहिए। फिलहाल, वे भाजपा के नैतिकता बोध से इतने दबे हुए हैं कि शायद ही कोई कंठ फूटे। हालांकि, वे कसमसाएँगे जरूर। इस प्रकार, कई मोदी से असहमति रखने वाले भी इस मुद्दे पर अपने विचार को बदलने के लिए बाध्य नहीं होंगे!