विभव को दिल्ली कोर्ट से नहीं मिली ज़मानत, कहा… FIR में देर तोह क्या चोट तो साफ़ दिख रही है

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सीएम आवास पर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट के मामले में दिल्ली कोर्ट ने विभव कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ एफआईआर दर्ज कराने में देरी होने से मामले पर कोई खास असर नहीं पड़गा, क्योंकि चार दिन बाद भी एमएलसी में चोटें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार की जमानत याचिका पर तीस हजारी कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उन्हें कोई राहत नहीं दी है। स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट के मामले में मंगलवार को तीस हजारी कोर्ट में बिभव कुमार की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने 10 पन्नों के फैसले में कहा कि सिर्फ एफआईआर दर्ज कराने में हुई देरी से मामले पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि चार दिन बाद भी मेडिकल लीगल केस (एमएलसी) में चोटें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि इस मामले में पर्याप्त सबूत और गवाह मौजूद हैं, जो जांच के दौरान सामने आएंगे। बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए, कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें जमानत देना उचित नहीं होगा।

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विभव : कोर्ट में पेश हुईं ये दलीलें

स्वाति मालीवाल के वकील ने कहा कि कुमार के जेल में होने के बावजूद आप सांसद को धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कुमार की निर्दोषता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि कुमार ने अपना फोन फॉर्मेट कर दिया था और घटना की सीसीटीवी फुटेज भी डिलीट कर दी थी। अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि मालीवाल ने मुख्यमंत्री आवास में जबरन प्रवेश नहीं किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अपनी सेवाएं समाप्त होने के बावजूद कुमार एक ‘प्रभावशाली’ व्यक्ति हैं।

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कुमार के वकील ने जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल जमानत की ‘तीन शर्तें’ पूरी करते हैं, क्योंकि उनके फरार होने का खतरा नहीं है, न ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है। वकील ने यह भी दावा किया कि पुलिस के साथ सहयोग करने के बावजूद उनके मुवक्किल को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने यह तर्क भी दिया कि मामले में प्राथमिकी तीन दिन की देरी के बाद ‘सोच-समझकर’ दर्ज की गई थी।

गौरतलब है कि बिभव कुमार को शनिवार को चार दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था और मंगलवार को उन्हें अदालत में पेश किए जाने की संभावना है।

विभव : जमानत न देते हुए कोर्ट ने क्या कहा?

स्वाति मालीवाल मामले की सुनवाई के दौरान तीस हजारी कोर्ट ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है। ऐसे में गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बिभव कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब उनके पास हाई कोर्ट जाने का विकल्प है। कोर्ट के इस फैसले के बाद कुमार के वकील ने कहा कि हम इस आदेश को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट में अपील करेंगे।

कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान मालीवाल के वकील ने बताया कि कुमार जेल में रहते हुए भी आप सांसद को धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुमार ने अपने फोन को फॉर्मेट कर दिया था और घटना की सीसीटीवी फुटेज को भी डिलीट कर दिया था।

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अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि मालीवाल ने मुख्यमंत्री आवास में जबरन प्रवेश नहीं किया था और कुमार अभी भी एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। कुमार के वकील ने जमानत का अनुरोध करते हुए तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का फरार होने का कोई खतरा नहीं है और न ही वे सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे या गवाहों को प्रभावित करेंगे।

वकील ने यह भी कहा कि पुलिस के साथ सहयोग करने के बावजूद कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया और प्राथमिकी दर्ज करने में जानबूझकर देरी की गई। कोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि जांच के इस प्रारंभिक चरण में जमानत देना उचित नहीं होगा।

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