‘भोले बाबा’ को उनकी जादुई शक्तियों के कथित दावों के कारण 2000 में आगरा में गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने एक 16 वर्षीय लड़की के शव को उसके परिवार से जबरन छीन लिया था, यह दावा करते हुए कि वह उसे वापस जीवित कर देंगे। बाद में यह मामला बंद कर दिया गया था।
नारायण साकर विश्व हरि, जिन्हें ‘भोले बाबा’ के नाम से जाना जाता है, उनके अनुयायी उन्हें एक देवता की तरह पूजते हैं। उनका मानना है कि ‘भोले बाबा’ एक डॉक्टर हैं जो इलाज करते हैं, और एक भूत भगाने वाले हैं जो बुरी आत्माओं से छुटकारा दिलाते हैं। अनुयायियों का विश्वास है कि ‘भोले बाबा’ जादुई शक्तियों वाले भगवान हैं, जो उनकी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।
स्थानीय धर्मगुरु ‘भोले बाबा’ ने हाल ही में हाथरस में एक सत्संग को संबोधित किया था, जहाँ मंगलवार को भगदड़ मच गई थी। इस घटना में बुधवार तक मरने वालों की संख्या 121 तक पहुंच गई थी। वास्तव में, उनके जादुई शक्तियों के कथित दावों के कारण 2000 में उन्हें आगरा में गिरफ्तार भी किया गया था। उस समय उन पर आरोप था कि उन्होंने एक 16 वर्षीय लड़की के शव को उसके परिवार से जबरन छीन लिया था, यह दावा करते हुए कि वह उसे वापस जीवित कर देंगे। बाद में यह मामला बंद कर दिया गया था। इस घटना ने उनके दावों और उनकी शक्तियों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया था।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘भोले बाबा’ पर आरोप है कि उन्होंने एक 16 वर्षीय लड़की के शव को उसके परिवार से जबरन छीन लिया था, यह दावा करते हुए कि वह उसे पुनः जीवित कर देंगे। हालांकि, बाद में यह मामला बंद कर दिया गया था। 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत सूरज पाल ने कासगंज से अपनी नौकरी छोड़कर स्वयंभू धार्मिक उपदेशक बनने का निर्णय लिया। अब, दो दशकों से अधिक के समय में, उन्होंने काफी बड़ी संख्या में अनुयायियों को आकर्षित कर लिया है।
उनके अनुयायियों में अधिकांश कम आय वाले दलित परिवारों से हैं, जिनमें पुरुष मजदूर, राजमिस्त्री, खेतिहर मजदूर, सफाई कर्मचारी, बढ़ई और कालीन बेचने वाले शामिल हैं। यह अनुयायी उनकी बढ़ती लोकप्रियता के गवाह हैं और उनकी कथित जादुई शक्तियों और धार्मिक उपदेशों में अटूट विश्वास रखते हैं। ‘भोले बाबा’ ने अपने अनुयायियों के बीच एक अद्वितीय स्थान बना लिया है, और उनकी कथित शक्तियों के बारे में चर्चाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। उनके सत्संगों में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं, जो उनकी बातों और उपदेशों से प्रेरित होकर उनके अनुयायी बनते जा रहे हैं।
‘भोले बाबा’ दलित परिवार से हैं
कई लोगों ने बताया कि उन्हें ‘भोले बाबा’ की ओर आकर्षित करने वाली बात यह थी कि वे भी दलित परिवार से थे और कोई प्रसाद भी नहीं मांगते थे। उर्मिला देवी, जो अपनी बहन तारामती के साथ सत्संग में आई थीं, ने कहा कि बाबा कुछ भी नहीं लेते या मांगते हैं। अपने सत्संग में वे हमें झूठ न बोलने और मांस, मछली, अंडा और शराब न खाने की सलाह देते थे। विधवा तारामती भी इस भगदड़ में घायलों में शामिल हैं। दोनों बहनें मथुरा की रहने वाली हैं।
ज्यादातर महिला भक्त 40-70 वर्ष की
यह चौथी बार था जब तारामती ‘भोले बाबा’ के सत्संग में भाग ले रही थीं, और इस बार उन्होंने अपनी बहन उर्मिला देवी को भी शामिल होने के लिए कहा था। दोनों बहनों की तरह, भोले बाबा के ज्यादातर महिला भक्त 40-70 वर्ष की आयु वर्ग की हैं। तारामती ने अस्पताल के बिस्तर से बताया कि जब सत्संग खत्म हो रहा था, तब भोले बाबा ने कहा, ‘आज प्रलय आएगी,’ और फिर सचमुच प्रलय आ गई। भगदड़ मच गई और कई लोग घायल हो गए।
तारामती ने कहा कि यह घटना उनके लिए बहुत ही भयावह थी। उन्होंने बताया कि सत्संग में शामिल होने का मुख्य कारण भोले बाबा का दलित समुदाय से होना और उनका कोई प्रसाद या दान न मांगना था। भोले बाबा अपने अनुयायियों को सदैव सच्चाई का पालन करने, और मांस, मछली, अंडा तथा शराब से दूर रहने की सलाह देते थे। इस हादसे के बावजूद, बाबा के अनुयायियों की आस्था और विश्वास में कोई कमी नहीं आई है, और वे मानते हैं कि बाबा का मार्गदर्शन और उनकी शिक्षाएं उन्हें सही दिशा में ले जाएंगी।