72 की उम्र में ही पंकज उधास की पैंक्रियाज कैंसर ने ली जान, ये लक्षण दिखते ही आप हो जाएं अलर्ट

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72 की उम्र में ही पंकज उधास की पैंक्रियाज कैंसर ने ली जान..

पंकज उधास जैसे प्रसिद्ध गजल गायक की मौत के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें पैंक्रिएटिक कैंसर के कारण हुआ। पैंक्रिएटिक कैंसर में पैंक्रिएटिक ग्लैंड की कोशिकाएं अनियमित रूप से बढ़ने लगती हैं। अधिक शराब पीना, धूम्रपान करना, और मोटापा पैंक्रिएटिक कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।

मंगलवार को प्रसिद्ध गजल गायक पंकज उधास का 72 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके दोस्त और भजन गायक अनूप जलोटा ने उनकी मौत की वजह पैंक्रिएटिक कैंसर बताई। वे पिछले कई महीनों से इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।

अनूप जलोटा ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा, ‘वह इंसान जिन्होंने कई कैंसर मरीजों की मदद की, वह खुद कैंसर से मर गये। यही जीवन है। उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर था। मैं पिछले 5-6 महीनों से यह बात जानता था। पिछले 2-3 महीनों से उन्होंने मुझसे बात करनी भी बंद कर दी थी। मुझे बहुत दुख हो रहा है कि बीमारी ने उनकी जान ले ली।

पंकज उधास

पंकज उधास:क्या है पैंक्रियाटिक कैंसर?

पैंक्रियाटिक कैंसर पैंक्रियाज में होने वाला कैंसर है, जो पेट के पीछे, छोटी आंत के पास स्थित एक लंबा ग्लैंड होता है। इस ग्लैंड का काम एक्सोक्राइन फंक्शन यानी पाचन में मदद करना होता है, और यह ग्लैंड एंडोक्राइन को भी नियंत्रित करता है, जो ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखने का काम करता है। जब किसी इंसान को पैंक्रियाटिक कैंसर होता है, तो उसके पैंक्रियाज में सूजन आने लगती है। इस रूग्णता के साथ-साथ, पैंक्रियाटिक कैंसर रोगी को अनेक समस्याएं जैसे कि तेज़ वजन घटाने, पेट के दर्द, वायु पाचन और पेट में गैस की समस्या हो सकती है।

पैंक्रियाटिक कैंसर सबसे खतरनाक कैंसरों में से एक है जो हर साल 4 लाख भारतीयों को प्रभावित कर रहा है। यह कैंसर तब होता है जब पैंक्रियाज की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होने लगती है। जब तक इंसान एडवांस स्टेज में न पहुंच जाए, पैंक्रियाटिक कैंसर के कोई लक्षण नजर नहीं आते। इस कारण से पैंक्रियाज कैंसर का पता लगाना और उसका इलाज करना बहुत कठिन होता है।

पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण

पैंक्रियाटिक कैंसर जब अपने एडवांस स्टेज में पहुंचता है तो इंसान में ये लक्षण नजर आते हैं-

-पेट में दर्द जो कि धीरे-धीरे पीठ दर्द में बदल जाता है

-भूख कम लगना

-वजन कम होना

-त्वचा और आंखों के सफेद हिस्से का पीला पड़ जाना जिसे जॉन्डिस कहा जाता है

-स्टूल के रंग में बदलाव

-गहरे रंग का पेशाब

-खुजली

-डायबिटीज होना या फिर डायबिटीज को कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो जाना

-पैरों और बांहों में दर्द और सूजन जो कि खून के जमने से हो सकता है.

-थकान और कमजोरी महसूस होना

पैंक्रियाटिक कैंसर का कारण?

पैंक्रियाटिक कैंसर की सटीक कारण क्या है, यह अभी तक निश्चित नहीं है, लेकिन डॉक्टर यह कहते हैं कि कुछ कारक इस कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जैसे कि सिगरेट सेवन, डायबिटीज, क्रोनिक पैंक्रियाटिक, और मोटापा। परिवार में यदि किसी को यह कैंसर है, तो भी इंसान को इसका खतरा बढ़ जाता है।

पैंक्रियाटिक कैंसर का पता कैसे लगाएं?

पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर मरीज के लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री की जांच करते हैं। मरीज का सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा, पैंक्रियाटिक कैंसर का निदान करने के लिए दो विशेष प्रकार के टेस्ट, यानी एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलंगाइओपैन्क्रेटोग्राफी (ERCP) और एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS) किया जाता है।

पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव कैसे

सिगरेट पीना पूरी तरह से छोड़ दें या कम करें। अत्यधिक शराब का सेवन पैंक्रियाटिक कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है, इसलिए इसका सेवन घटाएं और धीरे-धीरे बंद करें। पैंक्रियाटिक कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए वजन को नियंत्रित रखें। नियमित रूप से व्यायाम और योग करें, संतुलित आहार लें। लाल मांस, प्रोसेस्ड फ़ूड, और तली-भुनी खाद्य पदार्थों से बचें। इनके बजाय, ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन का सेवन करें।

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