500वां विकेट, मां की बीमारी, और उसके पर्याप्त 48 घंटे

0
4
500वां विकेट,

500वां विकेट, मां की बीमारी…..

राजकोट टेस्ट के दौरान अश्विन ने पहली बार अपने जीवन में हुई उथल-पुथल पर खुलकर बात की है।

राजकोट टेस्ट के दौरान अश्विन ने मां की गंभीर बीमारी के कारण घर जाना पड़ा था, लेकिन वह दूसरे दिन के खेल के बाद चेन्नई गए और चौथे दिन टीम के साथ पुनः शामिल हो गए। अश्विन ने इस अवकाश के बावजूद अपने कप्तान, रोहित शर्मा को एक बेहतरीन कप्तान और एक ‘बड़े दिल वाला इंसान’ के रूप में स्वीकार किया है।

अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए कहा, “राजकोट टेस्ट में आने से पहले मैं 499 विकेट पर था। 500 विकेट के कीर्तिमान को विशाखापटनम में ही पूरी होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। राजकोट टेस्ट के दूसरे दिन ज़ैक क्रॉली का विकेट मिलने पर मैंने इस रिकॉर्ड को हासिल किया। हालांकि यह उतनी बेहतरीन गेंद नहीं थी, लेकिन फिर भी रिकॉर्ड तो रिकॉर्ड होता है। दिन का खेल समाप्त होने के बाद प्रेस बॉक्स में मेरे कुछ इंटरव्यू शेड्यूल थे। मुझे 500 विकेट मिला था, इसलिए मैं अपनी पत्नी और पिता से फ़ोन कॉल की उम्मीद कर रहा था। लेकिन सात बजे तक फ़ोन नहीं आया तो मुझे कुछ आशंका महसूस हुई। हालांकि फिर मुझे लगा कि वे लोग भी इंटरव्यू और बधाई संदेशों का जवाब देने में व्यस्त होंगे।”

500वां विकेट,

उन्होंने आगे बताया, “थोड़ी देर बाद मुझे मेरी पत्नी का फ़ोन आया। उनकी आवाज़ भरी हुई थी। मैंने उनसे कहा कि मैं नहाने जा रहा हूं। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अपने साथियों से दूर होकर बात करूं। फिर उन्होंने बताया कि मां को सिरदर्द हुआ और फिर वह बेहोश होकर गिर गईं।”

500वां विकेट..

यह सुनने के बाद अश्विन को समझ ही नहीं आया कि उसे क्या करना चाहिए। सीरीज़ बराबरी पर थी और दूसरे दिन इंग्लैंड राजकोट टेस्ट में 207/2 के स्कोर के साथ बढ़त पर थी। अश्विन ने कहा, “मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। मुझे याद नहीं कि मैंने क्या किया लेकिन मैं रो ज़रूर रहा था। मुझे यह भी नहीं पता था कि मुझे मेरी पत्नी से और क्या कहना है, और क्या पूछना है। मैं नहीं चाहता था कि मुझे कोई रोता हुआ देखे, लेकिन यह उस समय तत्कालिक प्रतिक्रिया थी। मैं अपने कमरे में अकेले बैठ गया और मुझे पता नहीं था कि मुझे क्या करना है। मुझे यह पता था कि मुझे घर जाना है, लेकिन मैं ऐसे हालात में अपनी टीम को भी नहीं छोड़ सकता था। मुझे नहीं पता था कि कोच और कप्तान को क्या कहना है। मैं एकादश का हिस्सा था और मेरे जाने के बाद टीम में बस 10 खिलाड़ी बचते और इंग्लैंड को बढ़त मिल जाती।”

“लेकिन मैं अपनी मां के बारे में सोच रहा था कि मैंने उनसे कब आख़िरी बार बात की थी। एक संशय यह भी था कि डॉक्टर उन्हें किसी से मिलने भी नहीं दे रहे थे। इसलिए मैं घर जाता तब भी उनसे नहीं मिल पाता।”

इसके बाद रोहित और प्रमुख कोच राहुल द्रविड़ ने बिना कुछ ज़्यादा सोचे हुए एक सीधा निर्णय लिया कि मुझे घर जाना चाहिए। “मुझे लगता है कि जब मैं फ़ोन का जवाब नहीं दे रहा था तो मेरी पत्नी ने रोहित और राहुल (द्रविड़) भाई को फ़ोन किया होगा। रोहित मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे कहा, ‘आप सोच क्या रहे हो, आपको तुरंत घर जाना चाहिए। अपना बैग पैक करो और घर निकलो।'”

उस शाम राजकोट से चेन्नई के लिए कोई सीधी फ़्लाइट नहीं थी। “मैं इसके लिए चेतेश्वर पुजारा को भी धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने कुछ लोगों से बातकर मेरे लिए चार्टर्ड फ़्लाइट का इंतज़ाम कराया। टीम के फ़िज़ियो कमलेश जैन मेरे अच्छे दोस्त हैं। रोहित ने उनको मेरे साथ यात्रा करने को कहा, जबकि टीम में सिर्फ़ दो ही फ़िज़ियो थे। मैंने कमलेश से कहा कि वह टीम के साथ रहें, लेकिन जब मैं फ़्लाइट पर चढ़ा तो वह एक सिक्योरिटी गॉर्ड के साथ पहले से ही फ़्लाइट में थे। रोहित लगातार कॉल करके कमलेश से मेरा हाल-चाल ले रहे थे। रोहित के इस काम से मैं बहुत प्रभावित हुआ। वह एक महान लीडर और बड़े दिल वाले इंसान हैं। मैं ऐसे कप्तान के लिए अपना जी-जान लगा सकता हूं। इसी कारण उनके नाम पांच IPL सहित कई बड़े ख़िताब हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करूंगा कि उन्हें अपने करियर और जीवन में और सफलताएं मिले।”

500वां विकेट,

“मैं जब अपनी मां से मिला तो वह हैरान थीं। उनका मानना था कि मुझे टीम के साथ होना चाहिए।”

BCCI सचिव जय शाह की सहायता से अश्विन को एक और चार्टर्ड फ़्लाइट मिली और वह चौथे दिन फिर से राजकोट टेस्ट में टीम के साथ थे। उन्होंने महत्वपूर्ण जीत में विकेट भी हासिल किया।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!