पीयूष राय ने मुख्तार अंसारी की मौत पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनके अनुसार, भगवान के दरबार में देर हो सकती है, लेकिन अंधेरा नहीं। रमजान के पवित्र माह में अल्लाह या भगवान ने न्याय किया है। पीयूष के अनुसार, उनके लिए अल्लाह और भगवान एक ही हैं। भगवान के दरबार से उन्हें न्याय मिला है। पीयूष ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है कि कर्म के दायरे से जब तुम उतरोगे, तो उसकी सजा तुम्हें तड़पने तक नहीं छोड़ेगी।

हत्या 2005 में हुई थी
कृष्णानंद राय की हत्या उस समय हुई थी जब वह एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने के लिए वापस आ रहे थे। 2005 के 29 नवंबर को उनकी हत्या हुई थी। याद दिलाते हैं कि कृष्णानंद राय के काफिले पर लगभग 500 गोलियाँ चलाई गई थीं।
कृष्णानंद के साथ अदावत थी

इस मामले में बताया जाता है कि 2002 में मुहम्मदाबाद सीट से विधायकी का चुनाव कृष्णानंद राय जीत गए थे। राय की जीत अंसारी को हार गुजरी। इस सीट पर मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी की हार हुई थी। इसी सियासी हार को अंसारी और राय के बीच दुश्मनी की बड़ी वजह बताई गई थी। इसके अलावा दोनों के बीच इलाकाई वर्चस्व की लड़ाई भी चल रही थी।