ChatGPT
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में बढ़ता जा रहा है। बहुत से लोग जैसे आप भी एआई टूल जैसे ChatGPT का उपयोग कर रहे होंगे, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि ये एआई टूल किसी दिन पूरी दुनिया में बिजली संकट की वजह बन सकते हैं।
दुनिया के कई देशों में बिजली की संकट उभर रही है और गर्मियों के मौसम में यह संकट काफी बढ़ जाती है। भारत में भी बिजली से जुड़ी कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में लगातार बढ़ रहा है। आप में से भी कई लोग एआई टूल जैसे ChatGPT का उपयोग कर रहे होंगे, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि ये एआई टूल किसी दिन पूरी दुनिया में बिजली संकट की वजह बन सकते हैं|
एक रिपोर्ट के अनुसार, Open AI का प्रसिद्ध एआई Chat tool ChatGPT अकेले हर घंटे 5,000 किलोवॉट बिजली का उपयोग कर रहा है। यह उपयोग केवल 200 मिलियन उपयोगकर्ताओं के रोज के अनुरोध पर हो रहा है और अगर अनुरोधों की संख्या बढ़ती है, तो उपयोग भी बढ़ सकता है। औसत निकालने पर, ChatGPT प्रतिदिन औसत अमेरिकी घरों की तुलना में 17,000 गुना अधिक बिजली का उपयोग कर रहा है।
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अगर जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल बढ़ता है, तो ऊर्जा की खपत भी बढ़ सकती है। डेटा वैज्ञानिक एलेक्स डी व्रीज के अनुसार, यदि Google प्रत्येक सर्च में जेनरेटिव एआई का उपयोग करता है, तो इससे सालाना लगभग 29 बिलियन किलोवाट-घंटे की ऊर्जा की खपत हो सकती है, जो केन्या, ग्वाटेमाला, और क्रोएशिया जैसे पूरे देशों की वार्षिक बिजली खपत को पार कर सकती है।
डी व्रीज ने एआई की ऊर्जा खपत पर जोर देते हुए कहा कि पहले भी यह सामने आ चुका है कि प्रत्येक एआई सर्वर पहले से ही ब्रिटेन के एक दर्जन से अधिक घरों के बराबर बिजली की खपत कर रहे हैं, हालांकि बड़ी टेक कंपनियों की ओर से पारदर्शिता की कमी के कारण एआई जगत की कुल बिजली खपत का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है। व्रीज ने एआई क्षेत्र की अग्रणी चिप निर्माता कंपनी एनवीडिया के डेटा पर अनुमान लगाकर कहा है कि 2027 तक संपूर्ण एआई क्षेत्र सालाना 85 से 134 टेरावाट-घंटे के बीच इस्तेमाल कर सकता है। यह वैश्विक बिजली खपत के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करेगा, जो संभावित रूप से 2027 तक आधा प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।