सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में डीजीपी चयन प्रक्रिया को लेकर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को स्थायी पद पर नियुक्त करने के लिए नियमों में बदलाव किया है। अखिलेश का कहना है कि सुना है, सरकार ने किसी बड़े पुलिस अधिकारी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से नियमावली को मंजूरी दी है। उन्होंने इसे प्रशासनिक प्रक्रिया में धांधली करार देते हुए सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डीजीपी चयन प्रक्रिया में बदलाव करते हुए एक महत्वपूर्ण नियमावली को मंजूरी दे दी है। इस नए नियम के तहत अब राज्य सरकार यूपीएससी की सिफारिशों पर निर्भर हुए बिना अपनी पसंद के आईपीएस अधिकारी को डीजीपी के पद पर नियुक्त कर सकेगी। सोमवार देर रात कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पारित किया गया, जिसके बाद से इस मुद्दे पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार अपने चहेते अधिकारियों को ऊंचे पदों पर बैठाने के लिए नियमों में बदलाव कर रही है, जिससे सरकारी तंत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। अखिलेश का कहना है कि यह फैसला योगी सरकार की मंशा को दर्शाता है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया और पारदर्शिता के खिलाफ है। उन्होंने इस फैसले को प्रशासनिक धांधली बताते हुए इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला करार दिया है।
अखिलेश यादव ने अपने X अकाउंट पर लिखा, “सुना है कि एक बड़े पुलिस अधिकारी को स्थायी पद देने और उनका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की तैयारी की जा रही है… सवाल यह है कि जो यह व्यवस्था बना रहे हैं, वे खुद अगले 2 साल तक रहेंगे या नहीं। क्या यह दिल्ली से लगाम छीनकर उसे अपने हाथ में लेने की कोशिश है? दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0।”
Delhi VS Lucknow 2.0 : प्रशांत कुमार के नाम की चल रही है चर्चा
इस वक्त प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी हैं, और राज्य को पिछले तीन वर्षों से स्थायी डीजीपी नहीं मिल पाया है। प्रशांत कुमार अगले साल मई में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, और फिलहाल उनके रिटायरमेंट में छह महीने का वक्त बचा है। सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चाएं हो रही हैं कि प्रशांत कुमार को ही पूर्णकालिक डीजीपी नियुक्त किया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रशांत कुमार का नाम लिए बिना, उन्हीं के बहाने योगी सरकार पर निशाना साधा है।
प्रशांत कुमार, कार्यवाहक डीजीपी बनने से पहले कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश में एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) के पद पर तैनात थे और उनके कार्यकाल में राज्य के कानून व्यवस्था को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए थे। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि योगी सरकार द्वारा नियमावली में बदलाव का उद्देश्य प्रशांत कुमार को स्थायी डीजीपी के रूप में नियुक्त करना हो सकता है। अखिलेश यादव ने इसे लेकर सरकार पर आरोप लगाया है कि यह फैसला पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विपरीत है, और इसे प्रशासनिक मनमानी करार दिया है।