NEET पेपर लीक: पटना ही नहीं, सिकंदर ने रांची में भी किया था पेपर लीक, 10 करोड़ की साजिश का हुआ खुलासा

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NEET पेपर लीक 2024: नीट पेपर लीक मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। अब जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार पटना के अलावा रांची के केंद्रों पर परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को भी नीट परीक्षा के प्रश्नपत्र मिले थे। सूत्रों के मुताबिक, रांची में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के पास प्रश्नपत्र एक रात पहले ही पहुंच गए थे।

HIGHLIGHTS

  1. रांची के एक होटल में अभ्यर्थियों के साथ अवधेश ने की थी डील, जहां से केंद्रीय एजेंसी को मिली थी सूचना
  2. सिकंदर की कार में जिनके एडमिट कार्ड मिले थे, केवल उन अभ्यर्थियों की पहचान कर पाई एजेंसी
  3. नीट पेपर लीक के माध्यम से 10 करोड़ रुपये के वारे-न्यारे की थी साजिश

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नीट यूजी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा, अंडर ग्रेजुएट) पेपर लीक कांड में बिहार पुलिस (Bihar Police) की जांच गिरफ्तार आरोपियों और अभ्यर्थियों के आसपास ही केंद्रित है, लेकिन इस गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है।

सूत्रों के अनुसार, पटना के अलावा रांची (झारखंड) के केंद्रों पर परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों तक भी प्रश्नपत्र एक रात पहले ही पहुंचा दिए गए थे। बताया जा रहा है कि रांची के कांके इलाके में रिंग रोड पर एक से तीन मई तक कई अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों के साथ गिरोह के सदस्यों की बैठकें हुईं। इन बैठकों में पेपर लीक की योजना बनाई गई और प्रश्नपत्रों को कैसे वितरित किया जाए, इस पर चर्चा की गई।

गिरफ्तार अभ्यर्थी अभिषेक के पिता अवधेश कुमार भी उन बैठकों में शामिल थे। बताया जा रहा है कि दानापुर नगर परिषद के निलंबित कनीय अभियंता सिकंदर कुमार यादवेंदु भी उस होटल में आते-जाते थे। इसी होटल से रांची स्थित एक केंद्रीय एजेंसी को नीट पेपर लीक की जानकारी मिली और इसमें सिकंदर का नाम सामने आया।

सिकंदर की झारखंड में पंजीकृत कार का नंबर भी उसी होटल से मिला था। इसके बाद केंद्रीय एजेंसी ने पटना पुलिस के साथ जानकारी साझा की, जिससे सिकंदर को गिरफ्तार किया जा सका।

हालांकि, बिहार पुलिस केवल उन अभ्यर्थियों की पहचान कर पाई, जिनके एडमिट कार्ड सिकंदर के पास मिले थे। केंद्रीय एजेंसी को भी रांची के ठिकानों और पैसे के बल पर प्रश्नपत्र खरीदने वाले अन्य अभ्यर्थियों का पता नहीं चल सका। इस गिरोह का नेटवर्क इतना विस्तृत और संगठित था कि अब तक कई अहम जानकारीयों का खुलासा नहीं हो पाया है, जिससे जांच एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौतियां आ रही हैं।

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अवधेश की तलाश में थी केंद्रीय एजेंसी

सूत्रों के अनुसार, वह होटल किसी विजय नामक व्यक्ति का है। केंद्रीय एजेंसी अवधेश की तलाश में थी, लेकिन वह अपने बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए पटना चले गए थे।

वहीं, सिकंदर का एक अन्य करीबी व्यक्ति केंद्रीय एजेंसी की घेराबंदी से पहले ही फरार हो गया था। केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी यात्री बनकर उस होटल में पहुंचे थे|

उन्होंने रजिस्टर पर सरसरी निगाह डाली, लेकिन किसी कमरे में संदिग्ध व्यक्ति के ठहरे होने की जानकारी नहीं मिली। इसके बाद, दो एजेंसी कर्मियों ने एक कमरा बुक किया और वेटर से बातचीत शुरू कर दी। बातचीत के दौरान उन्हें सिकंदर की कार का नंबर पता चला और यह भी जानकारी मिली कि सभी संदिग्ध लोग पटना गए हुए हैं। इस तरह एजेंसी ने सिकंदर और अन्य संदिग्धों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की।

केंद्रीय एजेंसी के पास तुरंत कोई साक्ष्य नहीं था, जिससे सिकंदर, अवधेश और अन्य लोगों को हिरासत में लिया जा सकता था और उनके खिलाफ पूछताछ की जा सकती थी।

अनुज नामक व्यक्ति वसूल रहा था रुपये

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी को अनुज नामक एक युवक के बारे में भी जानकारी मिली थी, जो सिकंदर की तरह पटना में धीरज के साथ रुपयों की हेराफेरी करता था।

कहा जा रहा था कि रांची में लगभग 25 अभ्यर्थियों को एक केंद्र पर प्रश्नपत्र दिलवाया गया था। प्रत्येक अभ्यर्थी से यहां भी 40-40 लाख रुपये की वसूली की गई थी। एक 10 करोड़ रुपये से अधिक के वारे-न्यारे की साजिश भी थी।

रांची के अभ्यर्थियों से ली गई अग्रिम राशि, मूल शैक्षणिक प्रमाणपत्र और पोस्टडेटेड चेक आदि अनुज के पास ही सुरक्षित हैं। संभव है कि पहचान उजागर नहीं होने के कारण अभ्यर्थियों से पूरी रकम वसूल ली गई होगी।

 

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