कोरोना महामारी से बचाव के लिए दुनियाभर में कई टीके प्रयोग में लाए जा रहे हैं। ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका के साइड इफेक्ट की रिपोर्ट के बाद, भारत में कोविशील्ड से जुड़ी आशंकाओं की खबरें भी आने लगीं। ताज़ा घटनाक्रम में एक अन्य टीका निर्माता भारत बायोटेक ने अपने टीके, कोवैक्सीन, पर बयान दिया।
एस्ट्राजेनेका और कोविशील्ड जैसी कोरोना वैक्सीन के कथित साइड इफेक्ट जुड़ी खबरों के बीच, हैदराबाद की टीका डेवलप करने वाली एक अन्य कंपनी, भारत बायोटेक, ने एक बयान जारी किया। कोवैक्सीन डेवलप करने वाली कंपनी, भारत बायोटेक, ने कहा कि उनके लिए नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। भारत बायोटेक ने बताया कि वे टीके से जुड़ी सभी आशंकाओं को खत्म करने और वैक्सीन के सुरक्षित इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
कोविड: एस्ट्राजेनेका-कोविशील्ड :टीका कितना प्रभावी? इससे पहले वैक्सीन कितना सुरक्षित यह जानना भी जरूरी
भारत बायोटेक के मुताबिक, टीके के दुष्प्रभावों की खबरों के बीच टीका विकसित करते समय उनका एकमात्र फोकस सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना रहा। कोवैक्सीन भारत सरकार की इकाई आईसीएमआर के साथ मिलकर विकसित की गई एकमात्र वैक्सीन है। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए, भारत बायोटेक ने कहा कि टीके के प्रभावी होने को लेकर भी परीक्षण किए गए हैं। हालांकि, टीका कितना प्रभावी है, इसके बारे में सोचने से पहले हमने सुरक्षा का पहलू सबसे ऊपर रखा है।
कोविड: एस्ट्राजेनेका-कोविशील्ड: भारत में कहां से शुरू हुई वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बातें
गौरतलब है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार स्वीकार किया है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत में कोविशील्ड से जुड़े मामलों पर भी सुगबुगाहट तेज हो गई है।
खून का थक्का जमने की बीमारी का कारण बन सकते हैं कुछ टीके
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा है कि कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की स्थिति बन सकती है। उनका यह बयान फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका की ओर से अदालत के समक्ष इस स्वीकारोक्ति के बाद आया है कि उसकी ओर से विकसित की गई कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया कुछ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है।