CISF कांस्टेबल का क्या होगा अंजाम, नौकरी जाएगी या मिलेगी जेल की सज़ा?

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कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली CISF की निलंबित कॉन्स्टेबल के खिलाफ FIR दर्ज हो गई है। इस मामले में कुलविंदर कौर को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है और उनकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है। FIR दर्ज होने के बाद, कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें निलंबन, बर्खास्तगी और जेल की सजा शामिल हो सकती है। कंगना रनौत के साथ हुई इस घटना ने मीडिया और सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी हैं। अब यह देखना होगा कि पुलिस और CISF प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। कुलविंदर कौर की गिरफ्तारी और संभावित सजा को लेकर लोगों में काफ़ी उत्सुकता है।

कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को थप्पड़ मारने वाली CISF कांस्टेबल कुलविंदर कौर (Kulwinder Kaur) के खिलाफ पंजाब पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। सीआईएसएफ ने खुद मोहाली पुलिस को कुलविंदर कौर के खिलाफ शिकायत सौंपी, जिसके बाद कौर के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 और 341 के तहत FIR दर्ज की गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर, सीआईएसएफ भी आंतरिक विभागीय जांच कर रहा है।

CISF

इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी ध्यान आकर्षित किया है। कंगना रनौत जैसी चर्चित हस्ती के साथ हुई इस घटना को लेकर लोगों में भारी रोष है। कुलविंदर कौर के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इस घटना को एक गंभीर सुरक्षा चूक मानते हुए कठोर सजा की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं।

सीआईएसएफ और पुलिस दोनों की जांच के नतीजे आने वाले समय में स्पष्ट करेंगे कि कुलविंदर कौर के खिलाफ क्या कानूनी और विभागीय कदम उठाए जाएंगे। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में न्याय कैसे और कब तक मिलता है।

क्या है सेक्शन 323?

आईपीसी की धारा 323 के तहत किसी को जानबूझकर चोट या नुकसान पहुंचाने के लिए सजा का प्रावधान है। इस धारा के अनुसार, यदि किसी ने स्वेच्छा से किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाई है, तो उसके खिलाफ धारा 323 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। यहां चोट से मतलब मामूली चोट (Minor Injury) जैसे खरोंच, हल्के घाव या छोटे-मोटे चोटों से है। धारा 323 के तहत अपराध साबित करने के लिए तीन प्रमुख तत्वों का होना आवश्यक है।

A- जानबूझकर चोट पहुंचाना: यह मतलब है कि पीड़ित को जानबूझकर चोट पहुंचाई गई हो, और चोट पहुंचाने के पीछे कोई उद्देश्य रहा हो।
B- शारीरिक नुकसान: पीड़ित व्यक्ति को चोट के कारण शारीरिक नुकसान होना चाहिए, जैसे कट, खरोंच, या किसी प्रकार का और कोई निशान।
C- अचानक उत्तेजना न हो: इसका मतलब है कि आरोपी ने अचानक उत्तेजना (Sudden Provocation) में ऐसा नहीं किया हो, बल्कि हमला पूरी तरह सोच-समझ कर और पूर्ण नियोजित तरीके से जानबूझकर किया हो।

कितनी सजा?

यदि किसी व्यक्ति को आईपीसी की धारा 323 के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे 1 साल तक की कारावास या जुर्माना लगाया जा सकता है। या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी ने इस बारे में कहा है कि इसे ध्यान में रखना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे पर हथियार से हमला करता है तो उसे गंभीर चोट के दायरे में आता है। 323 के साथ 308 और 302 धाराएं भी लग सकती हैं, जिससे मुकदमे में सजा बढ़ जाती है।

दोनों जमानती धाराएं

सेक्शन 323 और सेक्शन 341 दोनों ही जमानती अपराध (Bailable Offences) हैं। एडवोकेट आदर्श तिवारी के अनुसार, इन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होने पर आरोपी को जेल जाने की बजाय जमानत मिलने की लगभग संभावना होती है। जमानत बहुत आसानी से मिल जाती है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर इन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होता है, तो आरोपी, पीड़ित पक्ष के साथ समझौता करके मामले को खत्म कर सकता है। इस प्रकार के मुकदमे किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुने जाते हैं।

क्या नौकरी जा सकती है?

थप्पड़ कांड के बाद, सीआईएसएफ ने तुरंत कांस्टेबल कुलविंदर कौर को सस्पेंड कर दिया है। उनके खिलाफ डिपार्टमेंटल इंक्वारी शुरू की गई है। सीआईएसएफ के डीआईजी (एयरपोर्ट सिक्योरिटी) विनय काजला खुद मामले की जांच कर रहे हैं। शुरुआती जांच में प्रकट हुआ है कि आरोपी कांस्टेबल का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत साफ-सुथरा रहा है। उन्होंने पहले किसी ऐसी घटना में शामिल नहीं किया है।

सीआईएसएफ के पास निकटता से एक विशेषज्ञ हैं, जो कहते हैं कि इस प्रकार के मामलों में निलंबन के बाद जांच होती है। यदि आरोपी को गंभीर अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ बर्खास्तगी (टर्मिनेशन) की कार्रवाई की जा सकती है। हल्के अपराध में वार्निंग देकर भी उसे छोड़ दिया जा सकता है। पूरी जांच में आरोपी का ट्रैक रिकार्ड बहुत महत्वपूर्ण होता है।

 

 

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