IND vs ENG: भारतीय खिलाड़‍ियों ने 3 दिन हाथ में क्‍यों बांधी काली पट्टी? यहां जानें असली वजह

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IND vs ENG: भारतीय खिलाड़‍ियों ने 3 दिन हाथ में क्‍यों बांधी काली पट्टी? यहां जानें असली वजह

IND vs ENG: भारतीय खिलाड़‍ियों ने 3 दिन हाथ में क्‍यों बांधी काली पट्टी? यहां जानें असली वजह

भारतीय टीम के खिलाड़ी शनिवार को राजकोट में हाथ पर काली पट्टी बांधकर मैदान पर उतरे। बीसीसीआई ने खुलासा किया कि भारतीय खिलाड़‍ियों ने पूर्व कप्‍तान दत्‍ताजीराव गायकवाड़ के सम्‍मान में काली पट्टी बांधी है जिनका कुछ दिन पहले निधन हुआ था।IND vs ENG  बहरहाल भारतीय टीम के स्‍टार ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन पारिवारिक कारणों से राजकोट टेस्‍ट से बाहर हो गए हैं।

स्‍पोर्ट्स डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारतीय टीम के खिलाड़ी शनिवार को हाथ में काली पट्टी बांधकर मैदान पर उतरे। बीसीसीआई ने जानकारी दी कि भारतीय खिलाड़‍ियों ने पूर्व कप्‍तान दत्‍ताजीराव गायकवाड़ की याद में काली पट्टी बांधी।

95 वर्षीय दत्‍ताजीराव गायकवाड़ का हाल ही में निधन हुआ था। अंशूमन गायकवाड़ के पिता दत्‍ताजीराव ने 1952 से 1961 के बीच 11 टेस्‍ट में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया। IND vs ENG इंग्‍लैंड के खिलाफ सीरीज में वो चार मैचों में भारतीय टीम के कप्‍तान भी रहे। दाएं हाथ के बल्‍लेबाज दत्‍ताजीराव ने 18.42 की औसत से 350 रन बनाए।

दत्‍ताजीराव गायकवाड़ अपने बेहतरीन डिफेंस और ड्राइव खेलने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन एक शानदार फील्‍डर के रूप में भी उन्‍होंने अपनी बेहतरीन पहचान बनाई। 1952 में विजय हजारे की कप्‍तानी में गायकवाड़ ने डेब्‍यू किया। यह भारत का आजादी के बाद इंग्‍लैंड का पहला दौरा था।

दत्‍ताजीराव गायकवाड़ ने अपने करियर की शुरुआत बतौर ओपनर की, लेकिन फिर वो मिडिल ऑर्डर में जम गए। उन्‍होंने अपना आखिरी अंतरराष्‍ट्रीय मैच 1961 में चेन्‍नई में पाकिस्‍तान के खिलाफ खेला था। रणजी ट्रॉफी में गायकवाड़ बड़ौदा की जान रहे। उन्‍होंने 1947 से 1961 तक बड़ौदा का प्रतिनिधित्‍व किया। गायकवाड़ ने फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट में 17 शतक की मदद से 5788 रन बनाए।

दत्‍ताजीराव गायकवाड़ के नेतृत्‍व में ही बड़ौदा ने 1957-58 रणजी ट्रॉफी सीजन का खिताब हासिल किया था। तब फाइनल में बड़ौदा ने सर्विसेज को मात दी थी। IND vs ENG 2016 में दीपक शोधन के 87 की उम्र में निधन के बाद दत्‍ताजीराव गायकवाड़ देश के सबसे उम्रदराज जीवित टेस्‍ट क्रिकेटर बने।

भारत के सबसे उम्रदराज जीवित क्रिकेटर चिंग्‍लेट गोपीनाथ बने। चेन्‍नई के गोपीनाथ की उम्र 93 साल है। गायकवाड़ ने बड़ौदा के अपने निवास स्‍थान पर अंतिम सांस ली। गायकवाड़ ने बॉम्‍बे यूनिवर्सिटी के लिए शुरुआती में क्रिकेट खेली और फिर वो बड़ौदा के महराजा सयाजी यूनिवर्सिटी में खेलने लगे।

राजकोट: भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के खिलाफ जारी पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला यहां राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में खेल रही है. मुकाबले का आज यानी के शनिवार को तीसरा दिन है. भारत ने अपनी पहली पारी में 445 रनों का स्कोर बनाया.

इसके जवाब में इंग्लैंड ने दूसरे दिन का खेल समाप्त होने तक दो विकेट पर 207 रन का स्कोर बनाकर शानदार शुरुआत की. स्टंप्स तक बेन डकेट 118 गेंद में 21 चौकों और दो छक्कों से नाबाद 133 रन बनाकर नाबाद है. उनके साथ जो रूट (9) नाबाद हैं. तीसरे दिन भारतीय टीम के खिलाड़ी अपनी बाजुओं पर काली पट्टी बांधकर मैदान पर उतरी.

भारतीय टीम ने अपने पूर्व कप्तान और भारत के सबसे उम्रदराज क्रिकेटर दत्ताजीराव गायकवाड़ (Dattajirao Gaekwad) को श्रद्धांजलि देने के लिए किया. टीम इंडिया के लिए खिलाड़ी तीसरे दिन शनिवार को जब मैदान पर उतरे तो उनके आर्म पर काली पट्टी बंधी थी. ऐसा उन्होंने दत्ताजीराव गायकवाड़ के सम्मान में किया.

IND vs ENG बीसीसीआई ने एक्स पर लिखा, ” टीम इंडिया भारत के पूर्व कप्तान और सबसे उम्रदराज टेस्ट क्रिकेटर दत्ताजीराव गायकवाड़ के सम्मान में काली पट्टी पहनेगी, जिनका हाल ही में निधन हो गया.”

पूर्व कप्तान और भारत के सबसे उम्रदराज क्रिकेटर दत्ताजीराव गायकवाड़ (Dattajirao Gaekwad) का पिछले मंगलवार को निधन हो गया था. वह 95 साल के थे. गायकवाड़ पिछले कुछ समय से बीमारियों से जूझ रहे थे. वह पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज और नेशनल टीम के कोच अंशुमान गायकवाड़ के पिता थे.

IND vs ENG उन्होंने पिछले 12 दिनों से बड़ौदा के एक अस्पताल के आईसीयू (गहन चिकित्सा कक्ष) में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आज सुबह अंतिम सांस ली. उन्होंने 1952 और 1961 के बीच भारत के लिए 11 टेस्ट खेले थे. उन्होंने 1959 में इंग्लैंड दौरे पर राष्ट्रीय टीम की कप्तानी भी की थी.

दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 1952 में लीड्स में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया और उनका अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच 1961 में चेन्नई में पाकिस्तान के खिलाफ था. गायकवाड़ ने रणजी ट्रॉफी में 1947 से 1961 तक बड़ौदा का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 47.56 की औसत से 3139 रन बनाए, जिसमें 14 शतक शामिल थे. उनका सर्वोच्च स्कोर 1959-60 सत्र में महाराष्ट्र के खिलाफ नाबाद 249 रन था.

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