Masik Durgashtami 2024: कब है मासिक दुर्गाष्टमी? जानें तिथि और पूजा का नियम

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Masik Durgashtami 2024: कब है मासिक दुर्गाष्टमी? जानें तिथि और पूजा का नियम

मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami 2024 Vrat) का दिन बेहद महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जो जातक माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं उन्हें शांति शक्ति समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी देवी दुर्गा के भक्तों के लिए एक शुभ दिन है। इस दिन भक्त मां के लिए कठिन व्रत का पालन करते हैं और मां के मंदिर जाकर या फिर घर पर भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं।

Masik Durgashtami 2024 यह व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन जो साधक देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं, उन्हें शांति, शक्ति, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं, जो यहां दी गई हैं

Masik Durgashtami 2024
Masik Durgashtami 2024

मासिक दुर्गा अष्टमी तिथि और समय

मासिक दुर्गाष्टमी तिथि का प्रारंभ – 16 फरवरी दिन शुक्रवार शाम 05 बजकर 32 मिनट से।

मासिक दुर्गाष्टमी तिथि का समापन – 17 फरवरी दिन शनिवार दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक।

अभिजीत मुहूर्त – 12 बजकर 35 मिनट से लेकर 01 बजकर 59 मिनट तक।

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि

  • इस शुभ दिन पर भक्त सुबह जल्दी उठें और पूजा शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें।
  • इसके बाद वे घर और मंदिर की सफाई करें।
  • मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और उनके समक्ष घी का दीया जलाएं।
  • मां का पंचामृत से अभिषेक करें।
  • मां को कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • देवी को गुड़हल का फूल अवश्य अर्पित करें।
  • मां दुर्गा को मिठाई और फल का भोग लगाएं।
  • दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ श्रद्धा के साथ करें।
  • मां के मंत्रों से हवन करें।
  • देवी की आरती सच्चे भाव के साथ करें।
  • अंत में शंखनाद करें।
  • प्रसाद का वितरण घर के सदस्यों और अन्य लोगों में करें।
  • व्रती सात्विक भोजन से अपने व्रत का पारण अगले दिन सुबह मां की पूजा के बाद करें।
  • दूसरों को बुरा बोलने से बचें।

“समाज के विकास में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा ही वह साधन है जो व्यक्ति को ज्ञान, सूक्ष्म बुद्धि और सामाजिक जागरूकता के साथ सजीव बनाता है। यह वह साधन है जिसके माध्यम से हम अपने जीवन को अधिक उच्च और उत्कृष्ट बना सकते हैं। शिक्षा का महत्व सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी होता है।

Masik Durgashtami 2024 शिक्षा का प्रारंभिक अर्थ न केवल पुस्तकों से सीखना है, बल्कि उसे जीवन के हर पहलू से सीखना है। यह एक प्रक्रिया है जो समय के साथ अद्यात्मिक, आत्मिक और बौद्धिक विकास को समर्थ बनाती है। शिक्षा का महत्व उसके अव्यावहारिक दिग्गजों में से भी प्रकट होता है, जैसे कि महात्मा गांधी, जो शिक्षा के माध्यम से अपने सामाजिक और राष्ट्रीय उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहे।

शिक्षा का महत्व हमारी समाज में जातिवाद, अन्याय, और अंधविश्वास जैसी समस्याओं को हल करने में भी होता है। शिक्षा के माध्यम से हम अपनी सोच और धारणाओं को समर्थ बनाते हैं, जिससे हम समाज के प्रति उत्साही और सक्रिय नागरिक बनते हैं।

शिक्षा का महत्व राष्ट्रीय स्तर पर भी होता है। एक शिक्षित और जागरूक नागरिक समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा के माध्यम से हम राष्ट्र को अधिक सामूहिक और आदर्श मानवीय मूल्यों की ओर प्रेरित कर सकते हैं। इससे हमारे राष्ट्र का समृद्धि और समाज का समृद्धि के प्रति प्रतिबद्धता बढ़ती है।

अंत में, शिक्षा ही हमारी समाज में सबसे बड़ी संपत्ति है। यह हमें अन्य सभी संपत्तियों की प्राप्ति में मदद करता है और हमें एक उत्तम और समर्थ समाज की दिशा में ले जाता है। इसलिए, शिक्षा को हमें हमारे जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाना चाहिए ताकि हम समृद्ध, समर्थ और समाजवादी नागरिक बन सकें।”

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